Chhattisgarh

धमतरी :नेत्रदान करें और बताएं इसका महत्व- डा यूएल कौशिक

जिला अस्पताल के एनसीडी क्लिनिक में आयोजित समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेत्ररोग विशेषज्ञ डा राजेश सूर्यवंशी।

धमतरी, 8 सितंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्पदृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत जिले में 40 वां राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा का समापन कार्यक्रम आठ सितंबर को जिला अस्पताल के एनसीडी क्लिनिक में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीएमएचओ डा यूएल कौशिक ने कहा कि नेत्रदान करने से दो लोगों को आंखों की रोशनी मिलती है। आप सभी आगे आकर नेत्रदान करें और अपने स्वजनों को भी नेत्रदान का महत्व बताकर इसके लिए प्रेरित करें। सिविल सर्जन डा अरुण कुमार टोंडर ने उपस्थित लोगों को नेत्रदान करने के लिए जागरूक किया।नेत्र विशेषज्ञ डा खालसा ने मोतियाबिंद, ग्लूकोमा सहित नेत्र रोग संबंधी विस्तृत जानकारी उपस्थित लोगों को दी।

मालूम हो कि जिले में 25 अगस्त से राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इसके तहत विभिन्न संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर आम लोगों को मृत्यु उपरांत नेत्रदान करने के लिए जागरूक किया। नेत्रदान कर चुके दिवंगत लोगों को पितृ पक्ष में पितर तर्पण कर कार्यक्रम शुरू किया गया। इस अवसर पर एक्जेक्ट फाउंडेशन रुद्री के दृष्टिहीन दिव्यांग बच्चों ने विभिन्न कार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर आम लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर एक्जेक्ट फाउंडेशन रुद्री के दिव्यांग बच्चों ने कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर डीपीएम डा प्रिया कंवर, सहायक नेत्र अधिकारी डा गुरुशरण साहू, पी एन साहू, कुमार जानू, भूपेंद्र साहू, संतोष साहू, झरना उइके सहित एक्जेक्ट फाउंडेशन के शिक्षक एवं छात्र – छात्राएं उपस्थित थे।

मानव जीवन में सबसे उत्तम दान नेत्रदान है:डा राजेश सूर्यवंशी

जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं राष्ट्रीय कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा राजेश सूर्यवंशी ने कहा कि देश में लगभग दो लाख लोग कार्नियल ब्लाइंडनेस की समस्या से पीड़ित है। इसका एकमात्र उपचार नेत्रदान है। मानव जीवन का सबसे उत्तम दान नेत्रदान है। इससे कार्नियल समस्या की वजह से अंधत्व से जूझ रहे लोगों को मदद मिलती है। कोई भी स्वस्थ व्यक्ति मृत्यु उपरांत नेत्रदान की घोषणा कर सकता है। इसके साथ ही मृतक के स्वजन चाहे तो मृत्यु के छह घंटे के भीतर नेत्रदान कर सकते है। नेत्रदान के माध्यम से कार्निया का प्रत्यारोपण किया जाता है। देश में केवल 25 से 30 हजार लोग नेत्रदान करते हैं। वर्तमान समय को देखते हुए एक से डेढ़ लाख नेत्रदान की आवश्यकता है। अप्रैल 2013 से अगस्त 2025 तक जिले में 54 लोगों ने नेत्रदान कर चुके हैं।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा

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