
पलवल, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा चुकी झज्जर (बहादुरगढ़) की माही अब नेटबॉल में नई पौध तराशने में जुटी हैं। जरूरतमंद प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों की आगे बढक़र मदद करते हुए वे नेटबॉल को भारत में अलग पहचान दिलाने का स्वप्र संजोय हुए हैं। इस सपने को साकार रूप देने के लिए वे नि:शुल्क रूप से नेटबॉल की कोचिंग प्रदान कर रही हैं।
पलवल में गुरूवार से 28 से 31 अगस्त तक नेशनल नेटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें हरियाणा की माही भी शामिल है। छठी कक्षा में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने नेटबॉल खेलना प्रारंभ किया तो फिर पीछे मुडक़र नहीं देखा। हरियाणा पुलिस में एएसआई के पद पर कार्यरत पिता राजेंद्र सिंह कुश्ती करते थे माता संतोष शॉटपुट की खिलाड़ी रही हैं और बड़े भाई देवदत्त तायक्वांडो खेलते थे। इस प्रकार उन्हें अपने परिवार से ही खेलों का माहौल मिला तो वे भी खेलों में आगे बढ़ चली। छोटा भाई ध्रुव अभी छठी कक्षा में है और वह भी खेलों में नाम कमाना चाहता है।
नेटबॉल में ऑल राउंडर के रूप में माही अपनी टीम की रीढ़ बनती हैं और वे डिफेंडर के रूप में भी गोल रक्षक की भूमिका निभाती हैं। वे जिला स्तर पर करीब 15 स्वर्ण पदक तथा राज्य स्तर पर दो स्वर्ण तथा दर्जनों कांस्य और राष्ट्रीय स्तर पर पांच स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। साथ में सीनियर नेशनल में भी तीन स्वर्ण व दो कांस्य, जूनियर नेशनल में तीन स्वर्ण व एक कांस्य पदक तथा सब-जूनियर नेशनल में तीन स्वर्ण पदक उनके नाम हैं। वर्ष 2024 में उन्हें पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बंगलौर में हुई सीनियर एशियन नेशनल नेटबॉल चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला, जिसमें भारत की टीम सातवें स्थान पर रही।
तदोपरांत 2025 मेंं हांगकांग में हुए बुहानिया कप में माही ने रजत पदक जीता और इसी वर्ष साउथ कोरिया में हुई एशियन यूथ चैंपियनशिप में टीम को पांचवां स्थान मिला, जिसमें माही टीम का हिस्सा रही। इसके पहले उनकी प्रतिभा को देखते हुए नेटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया ने माही को अंपायर की ट्रेनिंग के लिए 2024 में सिंगापुर भेजा। सफलतापूर्वक ट्रेनिंग करने उपरांत उन्हें देश की पहली अंतर्राष्ट्रीय महिला का खिताब मिला और इसी वर्ष उन्हें सिंगापुर में हुए मर्सिक्स कप में अंपायरिंग करने का अवसर मिला।
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(Udaipur Kiran) / गुरुदत्त गर्ग
