मुंबई, 19 (Udaipur Kiran) । महाराष्ट्र न केवल इस्पात उद्योग में बल्कि हरित इस्पात उद्योग में भी देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनना चाहता है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विश्वास व्यक्त किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन ग्रीन स्टील में महाराष्ट्र सबसे बड़ी भूमिका निभाएगा।
आईफा स्टीलेक्स 2025 इस्पात महाकुंभ का उद्घाटन शुक्रवार को मुख्यमंत्री फडणवीस ने मुंबई के गोरेगांव में किया। इस अवसर पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी, उद्योग मंत्री डॉ. उदय सामंत, आईफा अध्यक्ष योगेश मंधानी सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, तो कई लोगों को लगा था कि यह एक असंभव लक्ष्य है, लेकिन भारत ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और समय से पहले ऊर्जा उत्पादन प्रणाली में बदलाव लाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। अब भारत पर्यावरणीय स्थिरता का एक उदाहरण बन रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साल 2030 तक महाराष्ट्र के ऊर्जा मिश्रण का 58 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से आएगा। साल 2026 तक राज्य में किसानों को दी जाने वाली 16,000 मेगावाट बिजली पूरी तरह से सौर ऊर्जा से प्रदान की जाएगी। इससे बिजली दरों पर सब्सिडी कम हो जाएगी और अगले पांच वर्षों तक हर साल उद्योगों के लिए बिजली दरें कम की जाएंगी। नक्सलवाद के लिए जाना जाने वाला गडचिरोली अब देश का नया इस्पात शहर बनेगा। पिछले दस वर्षों में वहां माओवाद का उन्मूलन हो चुका है और स्थानीय समुदाय इस्पात उद्योग का समर्थन कर रहा है। राज्य में अब तक इस्पात उद्योग में 80,000 करोड़ रुपये का निवेश किए जा चुके हैं।
हरित इस्पात और पर्यावरण-अनुकूल उपायों के संबंध में, मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि गडचिरोली में 5 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से 40 लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं। हम गडचिरोली में जल, भूमि व वन का संरक्षण और संवर्धन करके इस्पात उद्योग के लिए एक नया पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करेंगे। महाराष्ट्र हरित हाइड्रोजन, हरित अमोनिया, गैस मूल्य श्रृंखला और बैटरी भंडारण में अग्रणी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक पंप स्टोरेज परियोजनाओं के लिए 75,000 मेगावाट के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इससे दो वर्षों में 7,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इससे 24/7 हरित ऊर्जा उपलब्ध होगी और महाराष्ट्र देश के ग्रिड को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री फडणवीस की पहल पर, पीएम-कुसुम योजना के तहत राज्य को 3,500 करोड़ रुपये का अनुदान आवंटित किया गया है। साल 2030 तक 5 लाख मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा गया है। पुणे हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर को केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है। हरित ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और हरित इस्पात उत्पादन पर जोर देते हुए जोशी ने कहा कि भारत की भविष्य की औद्योगिक नीतियों की दिशा को रेखांकित किया। उन्होंने बताया, यह केवल एक आर्थिक परिवर्तन नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी को सुरक्षित रखना एक राष्ट्रीय कर्तव्य है। पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने ऊर्जा क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाए हैं। वर्ष 2014 में अक्षय ऊर्जा उत्पादन केवल 2.44 मेगावाट था। आज यह लगभग 30 मेगावाट तक पहुंच गया है। आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा गैर-जीवाश्म ऊर्जा उत्पादक देश है।
केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री की ‘आत्मनिर्भर भारत’ संकल्पना के अनुसार 2030 तक 30 करोड़ टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से कम से कम 5 करोड़ टन हरित इस्पात का निर्यात किया जाना है। दुनिया की कार्बन टैक्स नीतियों के कारण हरित इस्पात अब एक अपरिहार्य विकल्प है। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की कगार पर है। सरकार उद्यमियों के साथ मजबूती से खड़ी है। लेकिन उद्यमियों को समय से पहले लक्ष्य हासिल करना होगा।
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(Udaipur Kiran) / वी कुमार
