Madhya Pradesh

महाकालेश्वर भगवान की सवारियों में सम्मिलित होगी भजन मंडलियां

पहली सवारी वैदिक थीम पर, दूसरी में होंगे लोक नृत्य * तीसरी सवारी बैण्डों की धुनों और चौथी होगी पर्यटन पर * पांचवी सवारी की थीम कृष्ण पाथेय पर * राजसी सवारी सजेगी 70 से अधिक भजन मण्डलियों से

उज्जैन, 8 जुलाई (Udaipur Kiran) । महाकालेश्वर भगवान की सवारी में 9 भजन मण्डलियां सम्मिलित होंगी। इनके प्रमुखों को एक बैठक आयोजित करके मंदिर प्रबंध समिति के पदाधिकारियों ने निर्देश दिए कि वे तय गणवेश में,सीमित संख्या में सवारी में शामिल होंगे।

मंदिर प्रबंध समिति की इस बैठक में समिति के उपप्रशासक एसएन सोनी, सिम्मी यादव, मूलचंद जूनवाल,गिरीश तिवारी,जयंत राठौर शामिल थे। बेठक महाकाल महालोक के नियंत्रण कक्ष में हुई। इन्होने भण्जन मण्डलियों को निर्देश दिए कि सवारी में झांकी, शोभा रथ, डीजे आदि प्रतिबंधित रहेंगे। सवारी में अधिकृत भजन मंडलियां को ही प्रवेश की अनुमति रहेगी। भजन मंडलियों का स्वरूप सवारी के वैभव अनुरूप होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति नशा या अन्य मादक पदार्थों का सेवन कर न आए। ऐसा पाए जाने पर संबंधित को मंडली को बाहर कर दिया जायेगा। सवारी में सम्मिलित होने वाली अनुमति प्राप्त भजन मंडली को निर्धारित समय से पूर्व उपस्थित रहना होगा।

वैदिक उदघोष से होगा महाकालेश्वर की प्रथम सवारी का स्वागत

इस श्रावण-भादौ मास की 14 जुलाई को निकलनेवाली बाबा महाकाल की पहली सवारी में भगवान मनमहेश के स्वरूप में रजत पालकी में विराजित होकर अपने भक्तों को दर्शन देंगे। पहली सवारी की थीम वैदिक उदघोष है। पहली सवारी जब क्षिप्रातट पर पूजन हेतु पहुंचेगी, तब वहां 500 से अधिक वैदिक बटुकों द्वारा वैदिक मंत्रों से उदघोष के रूप में अर्चण किया जाएगा। मॉ क्षिप्रा के रामघाट ओर दत्त अखाड़ा तटों पर उज्जैन में संचालित 25 गुरूकुलों के 500 से अधिक बटुकों द्वारा वेद उदघोष किया जाएगा।

मंगलवार को वैदिक उदघोष के निमित्त 25 गुरूकुलों के प्रबंधक-आचार्यों के साथ बैठक आयोजित की गई। बैठक में सभी आचार्यों को सवारी के दौरान होने वाले वेदघोष के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किये गए। साथ ही मंत्रों का चयन कर उनके क्रम का भी निर्धारण किया गया। बटुकों को दत्त अखाड़ा व रामघाट पर पहुॅंचाने हेतु बसों की व्यवस्था शिक्षा विभाग के माध्यम से की जाएगी। बैठक में उप प्रशासक एसएन सोनी, सिम्मी यादव, गिरीश तिवारी, मूलचंद जूनवाल, वैदिक शोध संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ.पियूष त्रिपाठी भी उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / ललित ज्‍वेल

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