Madhya Pradesh

पूंजीगत व्यय में मध्य प्रदेश का उत्कृष्ट प्रदर्शन, समृद्ध‍ि की लगाई छलांग

सीएम मोहन यादव (फाइल फोटो)

भोपाल, 12 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश ने चालू वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही में पूंजीगत व्यय में वृद्धि वाले देश के प्रथम तीन राज्यों में अपना स्थान बना लिया है। सीएजी के आंकडों के अनुसार देश के 16 राज्यों ने पिछले वर्ष की तुलना में पूंजीगत व्यय में वृद्धि दर्ज की है। गुजरात की 65 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश की 42 प्रतिशत और मध्य प्रदेश की उपलब्ध‍ि 41 प्रतिशत है। साल-दर-साल वृद्धि के साथ मध्य प्रदेश का यह सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन है।

जनसम्पर्क अधिकारी अवनीश सोमकुंवर ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि केन्द्र और राज्यों ने मिलकर वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में पूंजीगत व्यय को तेज़ी से बढ़ाया है। केंद्र सरकार के अप्रैल से जून 2025 के बीच के अंतरिम पूंजीगत व्यय के आंकड़े 52 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्शाते हैं, जो 2,75,132 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए निर्धारित 11.2 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का 25 प्रतिशत खर्च पहले ही कर दिया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में केवल 16 प्रतिशत खर्च हुआ था। सीएजी डेटा के अनुसार जिन 23 राज्यों के आंकड़े उपलब्ध हैं, उन्होंने पहली तिमाही में 99,478 करोड़ रुपये का कुल पूंजीगत व्यय किया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 81,494 करोड़ रुपये था। इसमें 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश ने समृद्ध‍ि की बड़ी छलांग लगाते हुए पिछले दशक में बढ़़ोतरी दर्ज की है। वित्त वर्ष 2011-12 में प्रदेश का प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद 38,497 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 67,300 करोड़ रुपये हो गया। औसत वार्षिक वृद्धि दर 4.8% रही। यह दर महाराष्ट्र (4.3%) और हरियाणा (4.6%) जैसे समृद्ध राज्यों से भी अधिक रही।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023-24 में प्रचलित भावों पर मध्यप्रदेश का सकल घरेलू उत्‍पाद 13 लाख 53 हजार 809 करोड़ रुपये था, वहीं इसमें 11.05% की वृद्धि हो गई है। सकल घरेलू उत्पाद अब बढ़कर 15 लाख 03 हजार 395 करोड़ रुपये पहुँच गया है। यह प्रगति प्रदेश की सशक्त अर्थव्यवस्था और समग्र विकास को दर्शाती है। वर्ष 2028-29 तक सकल घरेलू उत्‍पाद को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रति व्‍यक्ति आय 2024-25 में प्रचलित भावों पर 1 लाख 52 हजार 615 रुपये हो गई है। स्थिर भाव पर भी वर्ष 2024-25 में प्रति व्‍यक्ति आय 70 हजार 434 रुपये है।

विभाजन के बावजूद अन्य विभाजित राज्यों की अपेक्षा मध्यप्रदेश की बेहतर आर्थ‍िक प्रगति होने से राज्य विभाजन के झटके से उबरने में मदद मिली। वर्ष 2000-01 और 2010-11 में मप्र में हुई प्रगति यह सिखाती है कि कैसे कृषि पर पूरी तरह निर्भर राज्य अपनी आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार कर सकता है।

(Udaipur Kiran) तोमर

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