
भोपाल, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । मध्य प्रदेश के अलग-अलग विभागों के आउटसोर्स, अस्थायी, अंशकालीन और पंचायत कर्मचारी रविवार को अपनी विभिन्न मागों को लेकर भोपाल में एक मंच पर एकजुट हुए। यहां तुलसी नगर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क में उन्होंने जोरदार प्रदर्शन किया। आल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थायी, अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा मध्य प्रदेश के बैनर तले हो रहे इस आंदोलन को ‘महाक्रांति रैली’ नाम दिया था, जिसमें हजारों कर्मचारियों ने भाग लिया। इनमें बैंक मित्र, पंचायत चौकीदार, पंप ऑपरेटर, अंशकालीन भृत्य, राजस्व सर्वेयर, आउटसोर्स और अस्थायी कर्मचारी शामिल रहे।
इस आंदोलन का मकसद सरकार तक यह संदेश पहुंचाना था कि अब अस्थायी रोजगार और कम वेतन से तंग आ चुके कर्मचारियों को न्याय चाहिए। मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कहा कि यह सिर्फ एक वर्ग की लड़ाई नहीं है, बल्कि उन सभी मेहनतकश कर्मचारियों की आवाज है, जो बरसों से ठेके और आउटसोर्सिंग की मार झेल रहे हैं। सरकार को यह समझना होगा कि कर्मचारियों की मेहनत और निष्ठा का सम्मान ही सुशासन की पहचान है। हम केवल वादे नहीं, अपने अधिकार की गारंटी चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की मेहनत का सम्मान करना ही सच्चे सुशासन की पहचान है। प्रदेश में पूरा सरकारी सेक्टर अब ठेकेदारों और आउटसोर्स कंपनियों के हवाले कर दिया गया है। सरकारी व्यवस्थाएं स्थायी कर्मचारियों के बजाय अस्थायी आउटसोर्स कर्मचारियों से चलाई जा रही हैं। क्लास तीन और क्लास चार जैसे पद, जिन पर सबसे ज्यादा सरकारी नौकरियां होती थीं, अब सभी आउटसोर्स कर दिए गए हैं। बैंक सेवा केंद्रों में भी निजी कंपनियां काम कर रही हैं। पंचायतों में जो चौकीदार तैनात हैं, उन्हें मात्र तीन हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है। इसी तरह सीएम राइज स्कूलों, वल्लभ भवन और सतपुड़ा भवन जैसी प्रमुख जगहों पर भी सभी नियुक्तियां आउटसोर्स के जरिए की जा रही हैं।
वासुदेव शर्मा ने कहा कि सरकार को ठेकेदारों और आउटसोर्स कंपनियों से खास प्रेम है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार, सभी कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। न्यायालय ने यह भी माना कि समान कार्य करने वाले कर्मचारियों को समान वेतन और सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलना उनका संवैधानिक अधिकार है। मध्य प्रदेश में न्यूनतम वेतन देश में सबसे कम है, जिसे बढ़ाकर 21 हजार रुपये प्रति माह किया जाना चाहिए। लाखों कामगारों के साथ जो अन्याय हो रहा है, उसी के विरोध में हम इकट्ठा हुए हैं।
(Udaipur Kiran) तोमर
