Madhya Pradesh

मप्रः सुहागिनों ने करवा चौथ की पूजा की, पति के हाथों पानी पीकर खोला व्रत

करवा चौथ की पूजा
करवा चौथ की पूजा

भोपाल, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । मध्य प्रदेश में शुक्रवार को करवा चौथ का पर्व पूरे श्रद्धा, उल्लास और पारंपरिक अंदाज़ में मनाया गया। महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए दिनभर व्रत रखा। इसके बाद शाम को चांद दिखने पर करवा चौथ पूजा की। पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोला। कई जगहों पर भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया, तो कहीं सामूहिक रूप से नाच गाकर सेलिब्रेट किया। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में पत्नी साधना सिंह को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाया।

शुक्रवार को करवा चौथ पर सुबह से ही सुहागिनों में उत्साह देखने को मिला। करवा चौथ पर महिलाओं ने सजधज कर पति की लंबी उम्र के लिए दिनभर व्रत रखा। इस खास मौके पर भोपाल के अरेरा कॉलोनी में मोना पंजाबी समाज की महिलाओं ने सामूहिक रूप से करवा चौथ की पूजा अर्चना की और अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा। खास बात यह रही कि कई महिलाओं ने इस वर्ष पहली बार व्रत रखा और इस पावन अवसर को खास बनाने के लिए सामूहिक आयोजन किया गया। सरगी से लेकर शाम की कहानियों और चांद की पूजा तक, हर रस्म को पारंपरिक रीति-रिवाज़ों के अनुसार निभाया गया।

मप्र में सबसे पहले सिंगरौली में चांद दिखाई दिया। भोपाल, इंदौर और उज्जैन में भी धूमधाम से महिलाओं ने सुहाग की पूजा की। इस बार चंद्रमा न केवल अधिक चमकदार दिखा, बल्कि पृथ्वी के थोड़ा करीब भी है। इसलिए यह पहले से बड़ा और उजला दिखाई दे रहा है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल स्थित अपने निवास पर करवा चौथ पर्व को पूरे पारंपरिक विधि-विधान के साथ मनाया। केंद्रीय मंत्री ने पूजन-अर्चन कर करवा चौथ की कथा सुनाई और आरती की।

करवा चौथ पर महिलाएं गणेश जी, चौथ माता और चंद्र देव की पूजा करती हैं। रात में चंद्रमा निकलने के बाद अर्घ्य दिया जाता है। चंद्र दर्शन और पूजा के बाद ही व्रत खोलकर खाना-पानी ग्रहण किया जाता है। इस व्रत में करवा चौथ माता की कथा सुनना या पढ़ना जरूरी होता है, बिना इसके व्रत पूरा नहीं माना जाता।

करवा चौथ की यह पौराणिक कथा वेद शर्मा नामक एक ब्राह्मण और उनकी पुत्री वीरावती से जुड़ी है। वेद शर्मा इंद्रप्रस्थ नगर में रहते थे, उनकी पत्नी लीलावती थी और उनके सात पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्री का नाम वीरावती था। वीरावती के बड़े होने पर भाइयों ने उसका विवाह कर दिया। शादी के बाद कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को वह अपने माता-पिता के घर आई। उस दिन उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रख रही थीं, और वीरावती ने भी यह व्रत शुरू कर दिया। लेकिन भूख-प्यास सहन न कर पाने के कारण वीरावती चंद्र उदय से पहले ही बेहोश हो गई। उसे देखकर सभी भाई बहुत परेशान हुए। उन्होंने विचार कर मशाल जलाकर रोशनी दी और कहा कि चंद्र उदय हो गया है। वीरावती ने भाइयों की बात मानकर मशाल के उजाले को अर्घ्य दिया और फिर भोजन किया।

(Udaipur Kiran) तोमर

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