

– सीएम योगी की ओडीओपी विश्व फलक पर भरेगी उड़ान, अंतरराष्ट्रीय बाजार के खुलेंगे द्वार मीरजापुर, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश की समृद्ध विरासत और हस्तशिल्प की धरोहर को विश्व फलक पर पहुंचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए विक्रम कार्पेट्स के सीईओ और हथकरघा हस्तशिल्प निर्यातक कल्याण संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ऋषभ जैन को उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन परिषद में कालीन एवं दरी सेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में नामित किया गया है। यह नियुक्ति न केवल मीरजापुर और विंध्य क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास, ग्रामीण आजीविका और ओडीओपी (एक जनपद-एक उत्पाद) योजना को एक नई गति देने वाला ऐतिहासिक क्षण भी है।
हुनर को मिलेगा वैश्विक सम्मान मीरजापुर और भदोही क्षेत्र सदियों से विश्वप्रसिद्ध हस्तनिर्मित कालीनों के लिए पहचाने जाते रहे हैं। आज भी हजारों कारीगर और बुनकर पारंपरिक हथकरघों पर कलात्मक डिजाइन तैयार करते हैं। ऋषभ जैन की नियुक्ति से यह उम्मीद बंधी है कि अब इन कारीगरों के अद्भुत हुनर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में उचित मंच मिलेगा और उनका जीवनस्तर बेहतर होगा।
ओडीओपी से लेकर ग्लोबल ट्रेड तक… मीरजापुर का नया चेहरा उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की ओडीओपी योजना के अंतर्गत मीरजापुर को कालीन उत्पाद केंद्र के रूप में चिन्हित किया गया है। यह नामांकन उस दिशा में एक ठोस कदम है जिससे ओडीओपी उत्पाद अब सिर्फ क्षेत्रीय पहचान तक सीमित न रहकर अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग और वाणिज्यिक विस्तार की ओर अग्रसर होंगे। ऋषभ जैन का अनुभव, वैश्विक व्यापार की समझ और एमएसएमई क्षेत्र में योगदान मीरजापुर को निर्यात हब में तब्दील करने की आधारशिला रखेगा।
नीति से प्रत्यक्ष लाभ तक… शासन और जनसहभागिता का संगम उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन परिषद में यह पुनर्गठन प्रदेश के 15 प्रमुख निर्यात सेक्टरों को समाहित कर उनके प्रतिनिधियों को नीति निर्माण से जोड़ता है। इससे अब व्यापारिक निर्णय जमीनी हकीकत के अनुरूप होंगे। कारीगर, महिला स्वयं सहायता समूह, छोटे उद्यमी, व्यापारी और निर्यातक सभी को इस मंच के माध्यम से अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा।
मीरजापुर को बनाएंगे ग्लोबल कारपेट कैपिटल ऋषभ जैन ने कहा कि यह केवल मेरी नहीं, मीरजापुर के हर कारीगर की जीत है। हम एक ऐसा तंत्र विकसित करेंगे जहां परंपरा और तकनीक का संगम हो और जगविख्यात विंध्य क्षेत्र का हर घर अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मुख्यधारा से जुड़ सके। यह पहल न केवल मीरजापुर, बल्कि पूरे विंध्य क्षेत्र को नवाचार, निवेश और निर्यात (इनोवेशन-इन्वेस्टमेंट-एक्सपोर्ट) की नई त्रिवेणी की ओर ले जा रही है। दुनिया अब मेड इन मीरजापुर को एक ब्रांड के रूप में पहचानेगी। इसमें परंपरा, गुणवत्ता और आत्मनिर्भर भारत की आत्मा समाहित होगी।
कालीन-दरी सेक्टर को मिला राज्यस्तरीय प्रतिनिधित्व दरअसल, उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन परिषद ने प्रदेश के 15 निर्यातपरक सेक्टरों के लिए पांच-पांच प्रतिनिधियों को नामित किया है। कालीन एवं दरी सेक्टर से इम्तीयाज अहमद (टेक्सटिको), संदीप जैन (सन-दीप एक्सपोर्ट्स), सूर्यमणि तिवारी (सूर्या कारपेट), ऋषभकुमार जैन (विक्रम कारपेट्स) और अब्दुल रब अंसारी (आरएमसी कलेक्शन्स) को परिषद में शामिल किया गया है। अब्दुल रब अंसारी को सेक्टर कनवीनर नियुक्त किया गया है। परिषद की अध्यक्षता एमएसएमई सचिव करेंगे। जबकि एक उपाध्यक्ष का चुनाव सभी 15 सेक्टरों के प्रतिनिधि करेंगे। यह परिषद नीति निर्माण में उद्योग जगत की भागीदारी को सुनिश्चित करेगी।
‘मेड इन मीरजापुर’ की धमक 70 देशों तक मीरजापुर की हस्तनिर्मित कालीन और दरी आज अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, इटली, कनाडा, यूएई, जापान, ऑस्ट्रेलिया समेत 70 से अधिक देशों में बिछ रही हैं। यहां के बुनकरों का हुनर दुनिया की बड़ी कंपनियों, होटलों और लक्जरी होम डेकोर ब्रांड्स की पसंद बना हुआ है। यूरोपीय बाजार से लेकर खाड़ी देशों तक ‘मेड इन मीरजापुर’ का जलवा कायम है। विंध्य क्षेत्र के गांवों में बुनी जाने वाली ये कलात्मक कालीनें अब डिजाइन, क्वालिटी और टिकाऊपन के लिए पहचानी जाती हैं। स्थानीय से वैश्विक मंच तक पहुंचने वाली यह विरासत आत्मनिर्भर भारत की सच्ची पहचान बन रही है।
भारत की संसद भवन में भी बिछी है विंध्य क्षेत्र की शान विंध्य क्षेत्र की हस्तनिर्मित कालीन और दरी सिर्फ भारत ही नहीं, विदेशों में भी अपनी गुणवत्ता और कलात्मकता के लिए प्रसिद्ध है। इस गौरवपूर्ण सूची में भारत का नया संसद भवन भी शामिल है, जहां मीरजापुर में बनी खूबसूरत दरी बिछाई गई है। पारंपरिक हथकरघा पर तैयार की गई इन दरियों में स्थानीय कारीगरों की मेहनत, विरासत और रचनात्मकता झलकती है। जिले के लिए गर्व की बात है कि मीरजापुर का हुनर राष्ट्र के उच्चतम लोकतांत्रिक मंच की भी शोभा बढ़ा रहा है।
मीरजापुर की कालीन-दरी की खासियत पजिले की कालीन और दरी विश्वभर में अपनी बुनाई, टिकाऊपन और कलात्मक डिजाइनों के लिए जानी जाती है। यहां के कारीगर पारंपरिक हथकरघों पर हाथ से कालीन तैयार करते हैं, जिनमें महीन कशीदाकारी, रंगों का संतुलन और स्थानीय संस्कृति की झलक मिलती है। खास बात यह है कि यहां की दरी हल्की, मजबूत और कम कीमत में उपलब्ध होती है, जो घरेलू उपयोग से लेकर अंतरराष्ट्रीय बाजार तक बेहद लोकप्रिय है। प्राकृतिक रंगों और कपास-सूत से तैयार ये उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। यही कारण है कि मीरजापुर कालीन उद्योग की वैश्विक पहचान बन गया है।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
