
जम्मू, 1 सितंबर (Udaipur Kiran) । श्रीगणेश उत्सव बड़े जोर–शोर से मनाया जा रहा है। बुधवार, 27 अगस्त श्रीगणेश चतुर्थी के दिन जिस उत्साह से भक्तों ने श्रीगणपति जी को अपने घर एवं विभिन्न पंडालों में विराजमान किया था, अब गणपति बप्पा की विदाई का समय समीप आ गया है। श्रीगणपति जी विसर्जन के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि गणेश जी के कुछ भक्त उन्हें 1 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन, 9 दिन अथवा 10 दिन तक घर में रखते हैं। अनन्त चतुर्दशी के दिन अर्थात् 06 सितम्बर, शनिवार को भक्तगण श्रीगणेश जी का विसर्जन करेंगे। श्रीगणेश जी के भक्त जिस भक्ति और उत्साह से उन्हें घर लाते हैं, उसी प्रकार 10 दिनों तक पूजन–अर्चन करने के पश्चात् अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धा और उल्लास से विदाई करते हैं।
श्रीगणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त : दिनांक 06 सितम्बर 2025, शनिवार (अनन्त चतुर्दशी) – पूरा दिन विसर्जन के लिए शुभ है। जिस दिन श्रीगणेश जी का विसर्जन करना हो, उस दिन उनका पूजन और आरती करें। श्रीगणेश जी को लड्डू का भोग लगाकर प्रसाद भक्तों में वितरित करें। विसर्जन से पूर्व पुनः आरती करें। ध्यान रखें कि श्रीगणेश प्रतिमा को पानी में फेंका नहीं जाता, बल्कि समस्त पूजन सामग्री के साथ आदरपूर्वक एवं श्रद्धा से धीरे–धीरे विसर्जित किया जाता है।
इस वर्ष अनन्त चतुर्दशी 6 सितम्बर, शनिवार को है। इस दिन भगवान विष्णु के अनन्त स्वरूप का पूजन किया जाता है। परंपरा के अनुसार, व्रत का पूजन नदी या सरोवर के तट पर किया जाता है। इस दिन चौदह ग्रंथियों (गांठों) से युक्त अनन्त सूत्र (डोरी) रखें। इसके पश्चात् ॐ अनन्ताय नमः मंत्र से भगवान विष्णु तथा अनन्त सूत्र का पूजन कर, पुरुष इसे अपने दाहिने हाथ में तथा स्त्रियां बाएं हाथ में धारण करें। अनन्त चतुर्दशी का पर्व भक्ति, एकता और सौहार्द का प्रतीक है। यह त्यौहार देशभर में धूमधाम और श्रद्धा से मनाया जाता है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
