HEADLINES

श्रावण के पहले सोमवार को नगर भ्रमण पर निकलेंगे भगवान श्री महाकाल

भगवान महाकाल की सवारी
विजयादशमी पर धूमधाम से निकली भगवान महाकाल की सवारी

– मनमहेश स्वरूप में अपने भक्तों को देंगे दर्शन, वैदिक उद्घोष के साथ होगा होगा प्रथम सवारी का स्वागत

उज्जैन, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण-भाद्रौ मास में निकलने वाली सवारियों के क्रम में सोमवार, 14 जुलाई को प्रथम सवारी निकाली जाएगी। इस दौरान भगवान महाकाल श्री मनमहेश के रूप में पालकी में विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे। वैदिक उद्घोष के साथ भगवान महाकाल की प्रथम सवारी का स्वागत होगा। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुरूप गतवर्षानुसार जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान महाकाल की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी सहभागिता करेगा।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर प्रथम काैशिक ने रविवार को बताया कि भगवान महाकाल की सवारी शाम 4 बजे नगर भ्रमण पर निकलेगी। इससे पूर्व महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री मनमहेश का विधिवत पूजन-अर्चन होगा। उसके पश्चात भगवान श्री मनमहेश रजत पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जाएगी।

उसके बाद सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी। जहॉ मां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी।

भगवान महाकालेश्वर की सवारी का सजीव प्रसारण मंदिर प्रबंध समिति के फेसबुक पर व सवारी के दौरान चलित रथ में एलईडी के माध्यम से सवारी मार्ग में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को सजीव दर्शन की व्यवस्था की गई है। इस चलित रथ की विशेषता यह है कि, इसमें लाइव बॉक्स रहेगा, जिससे लाइव प्रसारण निर्बाध रूप से होगा। सवारी के दौरान श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि सवारी मार्ग में सड़क की ओर व्यापारीगण भट्टी चालू न रखें और न ही तेल का कड़ाव रखें। दर्शनार्थी सवारी में उल्टी दिशा में न चलें और सवारी निकलने तक अपने स्थान पर खड़े रहें। दर्शनार्थी गलियों में वाहन न रखें। श्रद्धालु सवारी के दौरान सिक्के, नारियल, केले, फल आदि न फेकें। सवारी के बीच में प्रसाद और चित्र वितरण न करें। इसके अलावा पालकी के आसपास अनावश्यक संख्या में न रहें। मंदिर के जिस मुख्य द्वार से राजाधिराज महाकाल की पालकी नगर भ्रमण के लिए निकलेगी, केवल पारंपरिक 9 भजन मंडलियां व झांझ-डमरू दल को सवारी में शामिल किया जाएगा।

प्रशासक प्रथम काैशिक ने बताया कि भगवान महाकालेश्वर की सवारी को अधिक भव्य रूप देने हेतु प्रत्येक सवारी में अलग-अलग थीम रखी गई है, जिसमें प्रथम सोमवार को निकलने वाली सवारी में भगवान श्री मनमहेश के स्वरूप में रजत पालकी में विराजित होकर अपने भक्तों को दर्शन देंगे। प्रथम सवारी में वैदिक उद्घोष कार्यक्रम होगा। इस अवसर श्री महाकालेश्वर की सवारी का क्षिप्रातट पर पूजन के दौरान 500 से अधिक वैदिक बटुकों द्वारा वैदिक मंत्रों से उदघोष के रूप में अर्चन किया जाएगा। माँ क्षिप्रा के तट पर दोनों ओर दत्त अखाड़ा क्षेत्र व रामघाट क्षेत्र में मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के अतिरिक्त उज्जैन में संचालित 25 गुरूकुलों के 500 से अधिक बटुकों द्वारा वेद उदघोष किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि 14 जुलाई को प्रदेश के घासी जनजातीय घसियाबाजा नृत्य सीधी, गोण्ड जनजातीय गुन्नूरसाई नृत्य सिवनी, कोरकू जनजातीय ढांढल नृत्य अनूपपुर एवं सैरा लोक नृत्य, सागर का दल श्री महाकालेश्वर भगवान की प्रथम सवारी में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चलेगा। विभिन्न जनजातियों के दल श्री महाकालेश्वर भगवान की सभी सवारियों में सम्मिलित हाेंगे।———————

(Udaipur Kiran) तोमर

Most Popular

To Top