
कोलकाता, 20 जून (Udaipur Kiran) ।
ममता बनर्जी सरकार द्वारा राज्य भर में दीघा जगन्नाथ मंदिर के प्रसार वितरण को लेकर पूर्व भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने ममता सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ममता बनर्जी को यह याद रखना चाहिए कि भगवान जगन्नाथ सेकुलर नहीं हैं।
अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने शुक्रवार रात लिखा, क्या ममता बनर्जी भूल गई हैं कि भगवान जगन्नाथ “धर्मनिरपेक्ष” नहीं हैं? वे सनातन धर्म के पवित्र देवता हैं, और उनका प्रसाद वोट बैंक को खुश करने का साधन नहीं है। जिस तरह वे केंद्रीय कल्याणकारी योजनाओं पर तृणमूल सरकार के स्टिकर लगाकर उन्हें अपना बताती हैं, अब वह प्रसाद के साथ भी यही कर रही हैं -स्थानीय मिठाइयों को जगन्नाथ मंदिर के लेबल के साथ पैक कर रही हैं और इसे दिव्य प्रसाद बता रही हैं। पिछले 15 सालों से ममता बनर्जी ने बार-बार हिंदुओं की आस्था का अपमान किया है और उसे बदनाम किया है। यह उस हमले का एक और उदाहरण है।
दरअसल तृणमूल सरकार ने घोषणा की है कि दीघा से जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद अब दुआरे राशन योजना के तहत हर घर तक पहुंचाया जाएगा। प्रत्येक परिवार को एक डिब्बा मिलेगा जिसमें पेड़ा और गाजा का एक टुकड़ा होगा, साथ ही भगवान जगन्नाथ और दीघा मंदिर की एक तस्वीर भी होगी।
दिलीप घोष ने कहा कि भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद एक पवित्र प्रसाद माना जाता है जो भक्तों को गहरी श्रद्धा और आध्यात्मिक संतुष्टि से भर देता है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि यह प्रसाद किसी भी पवित्रता या धार्मिक प्रोटोकॉल का पालन किए बिना तैयार किया जा रहा है। यहां तक कि गैर-हिंदू मिठाई की दुकानें, जिनमें मुस्लिम हलवाई भी शामिल हैं, खुलेआम इसकी तैयारी में शामिल हैं। कई दुकानदार तो यहां तक कहते हैं कि वे सिर्फ हलाल खाना ही बनाते हैं। और हैरानी की बात यह है कि राज्य सरकार इसके निहितार्थों से पूरी तरह वाकिफ होते हुए भी इसे आगे बढ़ा रही है।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
