Jharkhand

भगवान जगन्नाथ को लगा गुंडिचा का भोग, दर्शन पाकर भक्‍त निहाल

भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा भाई बलभद्र की फोटो

रांची, 5 जुलाई (Udaipur Kiran) । जगन्नाथपुर मंदिर में आगामी छह जुलाई रविवार को आयोजित घूरती रथ से ठीक एक दिन पहले शनिवार को भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र गुंडिचा (गंज) भोग लगाया गया।

गुंडिचा(गंज)भोग का खास महत्व है। वैसे तीनों भगवान को सैकड़ों बार भोग अर्पित किए जाते हैं। लेकिन भगवान को अर्पित किए जानेवाले

गुंडिचा (गंज)भोग स्वामी जगन्नाथ को साल में सिर्फ दो ही बार अर्पित किए जाते हैं। एक बार रथ यात्रा (चलती रथ) के समय और दूसरी बार घूरती रथ (उल्टा रथ) यानी वापसी यात्रा से ठीक पहले।

क्यों लगाया जाता है गुंडिचा(गंज) भोग

मुख्य पुजारी रामेश्वर पाढ़ी बताते हैं कि गुंडिचा (गंज) भोग का गहरा संबंध भगवान जगन्नाथ की मौसीबाड़ी यात्रा से है। जब भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र गुंडिचा मंदिर (मौसीबाड़ी) जाते हैं। तब वहां रात को विशेष रूप से यह भोग अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि देवी लक्ष्मी और गुंडिचा माता मिलकर यह भोग तैयार करती हैं। ताकि भगवान को घर वापसी से पहले विशेष रूप से तृप्त किया जा सके। इस भोग को प्रेम, क्षमा और पुनर्मिलन का प्रतीक भी माना जाता है।

गुंडिचा भोग की विशेषता

जगन्नाथपुर मंदिर के प्रथम सेवक और सेवायित सह जगन्नाथपुर मंदिर न्यास समिति के सदस्य और बडका स्टेट के प्रत्येक उत्तराधिकारी ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव ने कहा कि गुंडिचा(गंज) भोग जिसे गुंडिचा भोग भी कहते हैं। यह भोग एक पूर्ण सात्विक भोग होता है। इसमें खास तौर पर खिचड़ी (देशी घी में बनी सब्जियां), मिष्ठान्न (जैसे खीर, पुरी), मौसमी सब्जियों से बने व्यंजन, देसी चावल और मूंग की दाल को शामिल किया जाता है। यह भोजन पूरी तरह देवताओं के स्वाद और नियमों के अनुरूप तैयार होता है। माना जाता है कि गुंडीचा भोग देवी लक्ष्मी की भावनात्मक प्रतीकात्मक क्षमा याचना भी है, क्योंकि भगवान उन्हें बिना बताए मौसीबाड़ी चले गए थे।

गुंडिचा भोग भगवान को अर्पण करने के बाद भक्तों में प्रसाद रूप में वितरित किया जाता है। इसे ग्रहण करने से पाप नाश, मनोकामना पूर्ति और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। पुरी में यह परंपरा हजारों वर्षों से निभाई जा रही है और रांची के जगन्नाथपुर मंदिर में भी यह पूरी श्रद्धा के साथ मनाई जाती है।

श्रद्धालुुुओं की रही भारी भीड इधर, रविवार को घुरती रथयात्रा पर रविवार को भगवान जगन्‍नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा मौसीबाडी से अपने धाम लौटेंगे। वहीं घुरती रथयात्रा के पूर्व शनिवार को बारिश की फुहारों के बीच भी भक्तों की भारी भीड़ रही। भक्‍त भगवान का दर्शन कर निहाल हुए। वे थाली, नारियल, सिंदूर, अगरबत्ती और माचिस की डिब्बियां लिए कतारबद्ध होकर मंदिर में प्रवेश का इंतजार करते नजर आए। उनके चेहरों पर गहरी आस्था स्पष्ट झलक रही थी।

रथ को मानते हैं भगवान का साक्षात स्वरूप

तीनों विग्रहों के रथ को श्रद्धालु भगवान का साक्षात स्वरूप मानते हैं। रथ के चारों ओर खड़े पुजारी भक्तों द्वारा चढ़ाए गए प्रसाद को स्वीकार कर रहे थे। भक्तों ने रथ पर लाल चुनरी, मौली धागे, अगरबत्ती, इलायची और बादाम अर्पित किए। भक्‍तों ने भगवान के समक्ष तथा मत्‍था टेक कर सुखी और समृद्धि की प्रार्थना की।

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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar

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