Jharkhand

भगवान बिरसा का जीवन संघर्ष और स्वाभिमान का प्रकाश-स्तंभ: राज्यपाल

कार्यक्रम की तस्वीर
कार्यक्रम में मौजूद लोग
राज्यपाल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए

रांची, 15 नवंबर (Udaipur Kiran) ।

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जीवन केवल इतिहास का एक अध्याय नहीं, बल्कि संघर्ष, त्याग, स्वाभिमान और कर्तव्य का ऐसा प्रकाश-स्तंभ है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा ने अपनी मातृभूमि, संस्कृति और लोगों की रक्षा के लिए जो संग्राम किया, वह आज भी हर भारतीय के हृदय में साहस, आत्मबल और राष्ट्रभाव का संचार करता है।

राज्यपाल शनिवार को रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत मंडप में जनजाति गौरव दिवस आयोजन समिति की ओर से आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि कि आज पूरे देश में उनकी जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है और इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह पहल धरती आबा के अतुलनीय योगदान को सम्मान देने के साथ-साथ भारत की जनजातीय परंपराओं, संस्कृति और शौर्य को राष्ट्रीय पहचान प्रदान करने वाली है।

राज्यपाल ने राज्य की स्थापना के रजत वर्ष पर समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि झारखंड निरंतर विकास, समृद्धि और शांति के पथ पर अग्रसर रहे तथा राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। उन्होंने कहा कि हमारे जनजाति भाई-बहन भारतीय संस्कृति की मूल आत्मा का जीवंत स्वरूप हैं। उनकी लोक-कथाएं, नृत्य, संगीत, त्योहार और परंपराएं प्रकृति-प्रेम, संतुलन और सामुदायिक सहयोग की अनूठी परंपरा को दर्शाती हैं। जब विश्व सतत विकास की बात करता है, तब जनजातीय समाज सदियों से प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करता आया है।

राज्यपाल ने कहा कि झारखंड की लगभग 3.28 करोड़ जनसंख्या में लगभग 28 प्रतिशत जनजातीय समुदाय है। राज्य की 32 अनुसूचित जनजातियों और कई पीवीटीजी समुदायों के सर्वांगीण विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार अनेक योजनाएं संचालित कर रही हैं। इन योजनाओं का लाभ जनजातीय समाज तक पहुंचना सामूहिक दायित्व है।

राज्यपाल ने कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के भ्रमण के दौरान उन्हें जनजातीय समाज की मेहनत, ईमानदारी और कौशल को निकट से देखने का अवसर मिला। विशेष रूप से महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर गाँवों में आर्थिक गतिविधियों और महिला सशक्तीकरण का नया अध्याय लिख रही हैं। उन्होंने जनजातीय समाज से शिक्षा के प्रति और अधिक जागरूक होने का आह्वान किया और कहा कि यह सुखद है कि आज जनजातीय समाज में शिक्षा के प्रति उत्साह बढ़ा है और बेटियाँ विद्यालय एवं महाविद्यालयों में सक्रिय रूप से शिक्षा प्राप्त कर रही हैं।

राज्यपाल महोदय ने कहा कि हमारा जनजातीय समाज कला, साहित्य, हस्तशिल्प, संगीत के साथ-साथ खेल के क्षेत्र में भी अत्यंत प्रतिभाशाली है। महिला हॉकी टीम में यहाँ की बेटियां देश का मान बढ़ा रही हैं। झारखंड को लैंड ऑफ आर्चरी कहा जाना तीरंदाजी के क्षेत्र में प्रतिभा का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि ‘जनजातीय गौरव दिवस’ केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि अपनी विरासत, संघर्ष, शौर्य और सांस्कृतिक अस्मिता को स्मरण करने का अवसर है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वे धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों साहस, सत्य, परिश्रम और समाजहित को अपने जीवन में अपनाएं और झारखंड व देश के विकास में योगदान दें। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से कहा कि यदि किसी को कोई समस्या हो, तो वे नि:संकोच राज भवन आ सकते हैं। वे सदैव सहज उपलब्ध हैं।

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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे