Uttar Pradesh

गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर भगवान आदिशंकराचार्य मूर्ति की पूजा एवं रामलला मंदिर में होगा गुरु पादुका पूजन

आरती उतारते

प्रयागराज, 09 जुलाई (Udaipur Kiran) । अलोपीबाग स्थित श्रीब्रह्म निवास, भगवान आदिशंकराचार्य मंदिर में स्थित नवनिर्मित भगवान रामलला के मंदिर में जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती द्वारा गुरू पूजन एवं गुरू पादुका पूजन के उपलक्ष्य में प्रातः 9 बजे से शिष्यों और भक्तों को आशीर्वाद दिया जायेगा।

सर्वप्रथम जगद्गुरू शंकराचार्य प्रातः 9 बजे शिष्यों संग भगवान आदिशंकराचार्य चौक पर स्थित भगवान शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा पर उनकी पूजा आरती करके प्रसाद वितरित करेंगें। तत्पश्चात शंकराचार्य वापस श्री रामलला मंदिर में आकर पादुका पूजन कार्यक्रम करायेगें। श्रद्धालु शिष्यगण स्वामी जी से दीक्षा भी ग्रहण करेगें। उल्लेखनीय है कि रूद्राभिषेक कार्यक्रम 11 जुलाई से भगवान शंकराचार्य मंदिर के चतुर्थ तल पर स्थित जगद्गुरू शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती के दर्शन कक्ष में होगा।

प्रवक्ता ओंकार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि बुधवार को श्री रामलला मंदिर में हो रहे श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन पूज्य व्यास नंदन गोस्वामी ने रूक्मिणी एवं भगवान कृष्ण के संवाद का उल्लेख करते हुये बताया कि रूक्मिणी भगवान कृष्ण से कहती हैं कि मैंने आपके बारे में केवल सुना है, देखा नहीं था। व्यास ने बताया कि सुनना ही पहली भक्ति है। व्यक्ति जैसे देखता है, जैसा देखता है, वैसा ही उसकी वाणी से निकलता है। ठाकुर जी (भगवान) की कथा को पहले श्रवण करने पर ही भक्ति उत्पन्न होती है और भक्ति उत्पन्न होने पर काम, क्रोध होने पर भी पहले की तरह व्यक्ति के अन्दर रहते हैं, किन्तु भक्ति उन्हें भगवान की ओर मोड़ देती है। भगवान की ओर यही मोड़ना ही कल्याणकारी है।

व्यास ने बताया कि दान और सहायता में अन्तर है। ब्राह्मणों के प्रति पाप करने से कई जन्मों तक पाप का दण्ड मिलता है। भगवान कृष्ण ने कर्मों के आधार पर ही पौण्ड्रक का वध कर दिया था जो स्वयं को ही भगवान कृष्ण मानता था।

ज्योतिष्पीठ प्रवक्ता ओंकारनाथ त्रिपाठी ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा के मुख्य जजमान मोहित शर्मा और उनकी पत्नी मंजू शर्मा ने अंतिम दिन श्रीमद्भागवत पुराण और ठाकुरजी की आरती उतारीं। अन्य प्रमुख लोगों में दंडी स्वामी शंकरानंद महाराज, दंडी स्वामी विनोदानंद सरस्वती, दण्डी संन्यासी विश्वदेवानंद सरस्वती, पं0 शिवार्चन उपाध्याय, पूर्व प्रधानाचार्य श्रीमद्ज्योतिष्पीठ संस्कृत महाविद्यालय, आचार्य मनीष तिवारी, पं0 एस0पी0 त्रिपाठी, अशोक कनकने राजस्थान और सचिन मोरकरनी आदि हजारों भक्त उपस्थित रहे।

—————

(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

Most Popular

To Top