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साहित्य लेखन सिर्फ़ शब्दविलास और सौंदर्य भर नहीं…एक ज़िम्मेदारी: डा. विजय विशाल

साहित्यिक चर्चा और कवि सम्मेलन में भाग लेते हुए कवि साहित्यकार।

मंडी, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । भाषा एवं संस्कृति विभाग और सुकेत साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर में साहित्य चर्चा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंडी, सुंदरनगर, कुल्लू और बिलासपुर से आए करीब साठ साहित्यकारों ने शिरकत की। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार रवींद्र कुमार शर्मा ने बतौर मुख्यअतिथि शिरकत की, विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि गणेश गनी, शायर रवि राणा शाहीन और सुशील पुंडीर मौजूद रहे। जबकि जिला भाषा रेवती सैनी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में कवि आलोचक डा. विजय विशाल ने वर्तमान समय में लेखकों की भूमिका विषय पर प्रपत्र पढ़ा। वहीं पर वरिष्ठ साहित्यकार गंगाराम राजी ने हास्य-व्यंग्य से भरपूर कहानी दो भाई का पाठ किया। डा. विजय विशाल ने कहा कि हिंदी समाज भयावह आत्ममुग्धता में डूबा हुआ है। उन्होंने कहा कि हिंदी के लेखक की दुनिया तेजी से सिमटती जा रही है…आज पूंजी ने लेखक की सामाजिक भूमिका का ही निषेध कर दिया है।

उन्होंने केहा साहित्य लेखन सिर्फ़ शब्दविलास और सौंदर्य भर नहीं…एक ज़िम्मेदारी है। साहित्यिक रचना के माध्यम से व्यक्त होने वाले किसी भी अनुभव में विचारधारा एक आधारभूत आयाम के रूप में होती है और रचना के मूल्यांकन में इस आयाम का महत्वपूर्ण स्थान होता है। साहित्यकार कृष्णचंद्र महादेविया ने चर्चा का संचालन किया। कवि आलोचक गणेश गनी ने कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पाबंदी लगाना लोकतंत्र में कभी स्वीकार्य नहीं रहा है। साहित्य हमेशा से जनता की आवाज़ बनता रहा है और सत्ता का विरोधी रहा है। साहित्य सरकार तक आम लोगों की बात पहुंचाता है और सत्ता को इसे सकारात्मक तरीके से ही लेना चाहिए।

वहीं पर साहित्यकार मुरारी शर्मा ने कहा कि साहित्य हो या पत्रकारिता सदैव प्रतिरोध के स्वर बुलंद करते हैं। मगर आज जैसे हर तरफ खामोशी है , ऐसा लगता है यह प्रतिरोध के सन्नाटे का दौर है। आत्म-मुग्धता, स्वार्थ और भ्रामिक माहौल में समाज अपने हक की लड़ाई लड़ना भूल गया है। इस अवसर पर शायर रवि राणा शहीन ने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता की भूमिका पर आज सवाल उठने लगे हैं, जबकि दोनों का कार्य समाज को सही दिशा दिखाना है। इसके अलावा ई. छब्बील चंद मोहटल, रेवती सैनी और रवींद्र शर्मा ने भी चर्चा में भाग लिया। दूसरा सत्र कविता पाठ पर केंद्रित रहा। जिसमें पचपन कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। जिनमें रवि राणा शहीन,अजय कुमार, देवेंद्र गुप्ता, रूपेश्वरी शर्मा, गणेश गनी, डा. राकेश कपूर, मुरारी शर्मा, किरन गुलेरिया, कृष्णा ठाकुर, रतन लाल शर्मा, सुशील पुंडीर, सुरेंद्र मिश्रा,अरूण डोगरा, शीतल,राजेंद्र ठाकुर,विनोद गुलेरिया, उमेश शर्मा, रवींद्र शर्मा, रविंद्र कुमार भट्टा, एसआर आजाद, अनीश ठाकुर, सरिता हांडा, विद्या शर्मा, निर्मला चंदेल, भीम सिंह, अनिल महंत आदि ने कविता पाठ किया।

इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि डा. राकेश कपूर ने की जबकि मंच संचालन सुरेंद्र मिश्रा ने किया। सुकेत साहित्य सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष गंगाराम राजी ने कहा कि मंडी जिला में साहित्यिक गतिविधियों का बढ़ावा देने और नई प्रतिभागओं को आगे लाने में साहित्य परिषद प्रयासरत रही है।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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