Uttrakhand

छेनागाड़ में पसरा सन्नाटा, प्रभावित गांवों में हालत गंभीर, शिविरों में कट रहा जीवन

-आए दिन हो रही बारिश से तालजामण सहित अन्य प्रभावित गांवों में खतरा

-छेनागाड में साफ किया जा चुका मलबा, लापता का सुराग नहीं

-बोल्डरों को विस्फोट से तोडऩे के किए जा रहे प्रयास

रुद्रप्रयाग, 20 सितंबर (Udaipur Kiran News) । आपदा के 22 दिन बीत जाने के बाद भी छेनागाड़ का सन्नाटा नहीं टूट पाया है। यहां, मलबा और बोल्डरों के बीच चंदन गंगा के तेज बहाव की आवाज सुनाई दे रही है। मलबे के बीच लापता को खोजने के प्रयास हो रहे हैं, पर जीवन की उम्मीद लगभग खत्म हो चुकी है। अब, परिजन भी शवों के लिए खोजबीन कर रहे हैं।

वहीं, आए दिन हो रही बारिश से आपदा प्रभावित तालजामण, बड़ेथ, उछोला, भौंर गांव में हालात सुधरने के बजाय बिगड़ रहे हैं। भले ही क्षेत्र को जोडऩे वाले मोटर मार्गों पर जमा मलबा को साफ कर क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत भी कर दी गई है। बीते 28 अगस्त की देर रात्रि को हुई मूसलाधार बारिश और 29 अगस्त की तड़के अतिवृष्टि से छेनागाड़ पूरी तरह से तबाह हो गया था। यहां पानी और मलबे के सैलाब से 15 दुकानें और आवासीय मकान बह गए थे। साथ ही 9 लोग भी लापता हो गए थे, जिनका 22 दिन बाद भी पता नहीं चल पाया है। लापता लोगों में उछोला, भौंर और डांगी गांव के एक-एक लोग शामिल हैं।

वहीं, एक युवा बिजनौर और एक नैनीताल जिले का निवासी है। जबकि 4 नेपाली मूल के मजदूर हैं। छेनागाड़ में जमा 25 फीट से अधिक मलबे और बोल्डरों का हिस्सा साफ कर दिया गया है, पर अभी तक किसी भी लापता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।

ग्राम पंचायत उछोला के ग्राम प्रधान चंडी कुमार मौर्य, तालजामण के ग्राम प्रधान दीनानाथ, पूर्व ग्राम प्रधान एसएन नौटियाल, यशवंत सिंह, जयवीर पगवाल, रघुवीर सिंह आदि का कहना है कि छेनागाड़ में तीन विशालकाय बोल्डर हैं, जिन्हें विस्फोट से तोड़ा जाना है। एक उम्मीद है कि कहीं इन बोल्डरों के नीचे कोई शव दबा हुआ है।

दूसरी तरफ आपदा प्रभावित तालजामण, बडेथ, जौला, पाटियूं, उछोला, भौंर, डुंगर गांव में हालात अब भी पूर्ववत हैं। प्रभावितों के आवासीय घर तो सुरक्षित हैं, लेकिन वहां तक जाने के लिए रास्ते नहीं बचे हैं। बीते दस दिनों से कई प्रभावित दिन-दोपहर को अपने घरों में पहुंच रहे हैं, लेकिन शाम ढलते ही शिविरों में लौट रहे हैं। 176 प्रभावित ग्रामीणों की रात अब भी स्कूल, आंगनबाड़ी और लोगों के घरों में गुजर रही है।

गुड्डी देवी, अनीता देवी, सुनीता देवी आदि का कहना है कि आए दिन हो रही बारिश से डर लग रहा है कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। दूसरी तरफ लोनिवि ने क्षेत्र को जोडऩे वाली सड़कों को छोटे वाहनों के लिए खोल दिया है, पर खतरा निरंतर बना है। दो दिन पूर्व क्षेत्र में पहुंचे गढ़वाल सांसद से भी प्रभावितों ने आवासीय घरों को सुरक्षित करने और क्षति का आकलन कर उचित मुआवजा देने की मांग की थी।

(Udaipur Kiran) / दीप्ति

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