
पूर्वी सिंहभूम, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । जमशेदपुर के बागबेड़ा नागाडीह हत्याकांड में अदालत ने बुधवार को पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 25 सितंबर 2025 को इन्हें दोषी करार दिया गया था। 20 आरोपितों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। फैसले के बाद पीड़ित परिवार ने अदालत के निर्णय को न्यायसंगत बताया।
जमशेदपुर जिला के बागबेड़ा थाना क्षेत्र के नागाडीह में हुए हत्याकांड में आठ साल बाद पीड़ितों को न्याय मिला है। जमशेदपुर न्यायालय ने नागाडीह हत्याकांड में पांच आरोपियों को दोषी माना है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विमलेश कुमार सहाय की अदालत ने पांच आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है।
अधिवक्ता सुशील जायसवाल ने बताया कि पांचों अभियुक्त आईपीसी की विभिन्न धाराओं में दोषी करार दिए गए थे। जमशेदपुर न्यायालय के प्रथम अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश बिमलेश सहाय की अदालत ने नागाडीह हत्याकांड में पांच दोषियों राजाराम हांसदा, गोपाल हांसदा, सुनील सरदार, तारा मंडल और रंगो पूर्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं, अन्य आरोपित विभीषण सरदार, बाबू सरदार, डॉ. मार्डी, जगत मार्डी, डॉ. टुडू और सुभाष हांसदा को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
यह हत्याकांड 18 मई 2017 की शाम को हुई थी। इसमें बच्चा चोरी के झूठे आरोप में जुगसलाई नया बाजार निवासी दो भाईयों विकास वर्मा, गौतम वर्मा, उनकी दादी रामसखी देवी और उनके साथी गंगेश गुप्ता को गांववालों ने पुलिस की मौजूदगी में ईंट-पत्थर से मार कर हत्या कर दी थी।
मृतकों के छोटे भाई उत्तम वर्मा के अनुसार, गौतम के पास आधार कार्ड नहीं होने के कारण भीड़ ने उन्हें और उनके साथियों को पकड़ लिया और पुलिस की मौजूदगी में मारपीट शुरू कर दी। घटना में गौतम और विकास की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दादी रामसखी देवी का इलाज के दौरान टीएमएच में निधन हो गया। इस घटना ने पूरे झारखंड में सनसनी मचा दी थी।
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(Udaipur Kiran) / गोविंद पाठक
