HEADLINES

रेप व हत्या के अभियुक्त को फांसी की जगह उम्र कैद

इलाहाबाद हाईकाेर्ट

–उच्च न्यायालय ने मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदला

प्रयागराज, 01 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नाबालिग से रेप व हत्या के अभियुक्त को दी गई मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है। सजा के खिलाफ अपील और फांसी के रेफरेंस पर सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने कहा कि सजा भुगत रहा व्यक्ति आपराधिक पृष्ठभूमि का नहीं है। यह नहीं कहा जा सकता कि वह सुधरने योग्य नहीं है और समाज के लिए खतरा है। उसे सुधरने व पुनर्वास का मौका मिलना चाहिए।

यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता एवं न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने फिरोजाबाद के युवक की अपील पर दिया। फिरोजाबाद के युवक के खिलाफ 17 मार्च 2019 को आठ वर्षीय नाबालिग से रेप व हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोप था पीड़िता पड़ोस में गई थी और लापता हो गई। पीड़िता की मां को ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने उसकी बेटी को आरोपी के साथ देखा था। 18 मार्च 2019 को पीड़िता का शव गेहूं के खेत में मिला।

ट्रायल कोर्ट ने इसे भयावह घटना माना और कहा कि आरोपी पीड़िता को बिस्किट दिलाने के बहाने फुसलाकर खेत में ले गया और उसका रेप किया। इसके बाद हत्या कर दी। कोर्ट ने युवक दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

अपीलकर्ता के वकील ने दलील दी कि डीएनए जांच के नमूनों को फोरेंसिक जांच के लिए कभी नहीं भेजा गया। पीड़िता रिश्ते में उसकी बहन लगती थी, इसलिए उसके खिलाफ इस तरह का नृशंस कृत्य करने का कोई कारण नहीं था। केवल पीड़िता के साथ आखिरी बार देखे गए सबूत ही हैं, जो किसी आरोपी को दोषी ठहराने के लिए निर्णायक नहीं है।

शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि कि पीड़िता को आखिरी बार आरोपित के साथ देखा गया था। ऐसे में आरोपी साक्ष्य अधिनियम के तहत यह बताने के लिए बाध्य है कि उसके बाद पीड़िता के साथ क्या हुआ लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहा। इस प्रकार यह दोषसिद्धि का एक उचित मामला है।

कोर्ट ने कहा कि एक बार तथ्यों के गवाहों के साक्ष्य से अंतिम बार देखे जाने का तथ्य साबित हो जाने के बाद अभियुक्त पर यह साबित करने का भार था कि उसने पीड़िता को कहां और कब छोड़ा। कोर्ट ने कहा कि अपीलार्थी यह बताने में विफल रहा इसलिए ट्रायल कोर्ट के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है। साथ ही अपीलार्थी की कम उम्र और अंतिम बार एक साथ देखे जाने के परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित मामले को देखते हुए मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

—————

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

Most Popular

To Top