Jammu & Kashmir

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की प्रतिबद्धता दोहराई

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की प्रतिबद्धता दोहराई

श्रीनगर, 20 जुलाई हि.स.। जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता दोहराते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को कहा कि प्रशासन शांति खरीदने का प्रयास नहीं कर रहा है बल्कि क्षेत्र में स्थायी और न्यायपूर्ण शांति स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि किसी भी दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

यहाँ एक कार्यक्रम में बोलते हुए उपराज्यपाल सिन्हा ने आतंकवादी तंत्र को ध्वस्त करने में जम्मू-कश्मीर पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस की आतंकवादियों के समर्थन तंत्र को नष्ट करने की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है चाहे वह वित्तीय हो सैन्य हो या अन्य।सिर्फ़ आतंकवादी से ही नहीं बल्कि आतंक को बढ़ावा देने वाली पूरी मशीनरी से भी निपटने की ज़रूरत है।

उन्होंने अतीत के उस दृष्टिकोण की आलोचना की जिसमें आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े व्यक्तियों को सरकारी नौकरियां दी जाती थीं जबकि आतंकवाद के पीड़ितों की उपेक्षा की जाती थी और उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया जाता था।

क्षेत्र के सुधार में एक नए अध्याय पर प्रकाश डालते हुए उपराज्यपाल ने उल्लेख किया कि प्रशासन अब उन परिवारों के पुनर्वास के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है जो आतंकवादियों के हाथों पीड़ित हुए हैं। उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कई परिवारों ने आतंकवाद के कारण अपने प्रियजनों को खो दिया है। कुछ घरों में बेटों की बेरहमी से हत्या के बाद केवल बुजुर्ग माता-पिता ही बचे हैं। पाकिस्तान के इशारे पर हजारों लोग मारे गए।

उन्होंने कहा कि 13 जुलाई को बारामूला में 40 आतंकवाद पीड़ित परिवारों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। उन्होंने कहा कि कुछ युवाओं ने अपने पिता को तब खो दिया जब वे केवल दो साल के थे। आज हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके दर्द को पहचाना जाए और न्याय दिलाया जाए। जनता से सुरक्षा बलों के साथ एकजुट होने का आह्वान करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि नया जम्मू-कश्मीर केवल एक नारा नहीं बल्कि एक वास्तविकता है जो पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुई है। इस नए दौर में युवाओं के हाथों में पत्थरों की जगह कलम और लैपटॉप ने ले ली है। स्कूल और कॉलेज अब साल भर बिना किसी हड़ताल के खुले रहते हैं। अलगाववादी नारों और बंद के कैलेंडर के दिन अब बीत चुके हैं। आज हमारे कैलेंडर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों से भरे हैं।

सिन्हा ने लोगों को सुरक्षा बलों के साथ हाथ मिलाना चाहिए। शांति केवल संघर्ष की अनुपस्थिति नहीं हैकृयह न्याय, अवसर और आशा की उपस्थिति है। और हम उस शांति को एक स्थायी वास्तविकता बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं

(Udaipur Kiran) / राधा पंडिता

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