RAJASTHAN

न्यायिक कर्मचारी की मांगों को लेकर सीएम-वित्‍त मंत्री को लिखा पत्र

राजस्थान सरकार को नहीं न्यायिक व्यवस्था की चिंता, न्यायिक कार्य ठप

अजमेर, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । राजस्थान राज्य राजकीय अधिवक्ता संघर्ष समिति ने न्यायिक कर्मचारी की मांगों को लेकर सरकार के रवैये पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। समिति ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और वित्त मंत्री दीया कुमारी को पत्र लिखकर न्यायिक कर्मचारियों के संवर्ग व कैडर के पुनर्गठन की मांग की है।

पूर्व लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने जानकारी देते हुए दावा किया क‍ि राजस्थान में पिछले दस दिनों से न्यायिक व्यवस्था पूरी तरह से ठप है। 14 जुलाई 2025 से न्यायिक कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर हैं, जबकि चार कर्मचारी भूख हड़ताल पर बैठे हैं। 18 जुलाई से प्रदेशभर में लगभग 22,000 न्यायिक कर्मचारी काम छोड़ चुके हैं, जिससे अधीनस्थ अदालतों में कार्यवाही पूरी तरह रुक गई है। उन्‍होंने आरोप लगाया क‍ि न्याय की तलाश में लोग अदालतों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन फाइलें नहीं निकलने और कर्मचारी नहीं मिलने के कारण उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

पत्र में बताया गया कि वर्ष 2022 में न्यायिक कर्मचारियों के कैडर पुनर्गठन से जुड़ा प्रस्ताव राज्य सरकार को उच्च न्यायालय द्वारा भेजा गया था, लेकिन तीन वर्षों के बावजूद सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि जयपुर और जोधपुर उच्च न्यायालयों के कर्मचारियों के कैडर का पुनर्गठन कर दिया गया है, वहीं अधीनस्थ न्यायालयों के कर्मचारियों के साथ अब भी भेदभाव किया जा रहा है। इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अधिवक्ताओं में विवेक पाराशर के साथ पूर्व राजकीय अधिवक्ता राजेश कुमार ईरानी, बृजेश कुमार पांडेय, अशरफ बुलंद खान, मंजूर अली, रूपेन्द्र कुमार, गंगाराम रावत सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल हैं।

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(Udaipur Kiran) / संतोष

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