
नई दिल्ली, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना ने आज एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। महाराष्ट्र में घनसोली और शिलफाटा के बीच 21 किलोमीटर लंबी समुद्र के नीचे की सुरंग का पहला हिस्सा अब उपयोग के लिए तैयार है। यह टनल मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) से ठाणे तक फैली हुई है और इस हाई-स्पीड प्रोजेक्ट का एक अहम हिस्सा है।
रेल मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना में अब तक 310 किलोमीटर वायाडक्ट का निर्माण पूरा हो चुका है। साथ ही 15 नदी पुलों का निर्माण भी हो चुका है, जबकि 4 अन्य पुल लगभग तैयार हैं। 12 प्रस्तावित स्टेशनों में से 5 का काम पूरा हो गया है और 3 अन्य स्टेशनों पर तेजी से काम चल रहा है। विशेष रूप से बीकेसी स्टेशन को एक अभियांत्रिकी चमत्कार के रूप में देखा जा रहा है, जो 32.5 मीटर भूमिगत होगा और इसके ऊपर 95 मीटर ऊंची इमारत के निर्माण का भी प्रावधान है।
इस परियोजना को जापान के साथ रणनीतिक साझेदारी के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है। जापानी शिंकान्सेन तकनीक के माध्यम से पूरे 508 किलोमीटर के कॉरिडोर को तैयार किया जा रहा है, जो गति, सुरक्षा और विश्वसनीयता के नए मानक स्थापित करेगा।
अब इस साझेदारी को और मजबूती मिल रही है, क्योंकि जापान ने अगली पीढ़ी की ई10 शिंकान्सेन ट्रेनें भारत में भी शुरू करने की सहमति दी है। ये ट्रेनें जापान और भारत में एक साथ लॉन्च की जाएंगी। वर्तमान में जापान में ई5 ट्रेनें चलाई जा रही हैं, लेकिन अब ई10 ट्रेनें इनका स्थान लेंगी, जो और भी अधिक आधुनिक, ऊर्जा कुशल और तेज़ हैं।
मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना (एमएएचएसआर) की सफलता भारत में भविष्य के बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए आधार तैयार कर रही है। सरकार ऐसे कई कॉरिडोर पर विचार कर रही है, जो देशभर में तेज़ और सुरक्षित यातायात सुनिश्चित करेंगे।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
