Jammu & Kashmir

लद्दाख प्रशासन ने संस्थान को भूमि आवंटन रद्द किया; वांगचुक और लेह निकाय ने इस कदम को ‘जासूसी’ बताया

लेह, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । लद्दाख प्रशासन ने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग को भूमि आवंटन रद्द कर दिया है। इस पर संस्थान के संस्थापक और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इसे केंद्र शासित प्रदेश में राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के विस्तार की लोगों की मांग को दबाने के लिए ‘जासूसी’ करार दिया है।

लेह के उपायुक्त रोमिल सिंह डोंक ने 21 अगस्त को अपने आदेश में कहा कि एचआईएएल को आवंटित 1,076 कनाल और 1 मरला (53.8 हेक्टेयर से अधिक) भूमि राज्य, यानी एलएएचडीसी (लेह स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद) के अधीन है और लेह के तहसीलदार, कानून के प्रावधानों के अनुसार उक्त राज्य भूमि से सभी अतिक्रमण हटाएँगे और तदनुसार राजस्व रिकॉर्ड में प्रविष्टियाँ दर्ज करेंगे।

आदेश में कहा गया है कि फ्यांग स्थित भूमि एचआईएएल को 40 वर्षों के पट्टे पर दी गई थी और इसका उपयोग आवंटित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया है क्योंकि आज तक कोई विश्वविद्यालय (कानून द्वारा मान्यता प्राप्त) स्थापित नहीं किया गया है।

भूमि आवंटन रद्द होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वांगचुक और एचआईएएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने इस प्रेरित निर्णय पर सवाल उठाया और कहा कि यह निराधार आरोपों के ज़रिए हमें परेशान करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है और वे न्याय के लिए अदालत का रुख करेंगे।

वांगचुक के साथ बैठी अंगमो ने लेह के उपायुक्त द्वारा उठाए गए मुद्दों का एक-एक करके खंडन किया और कहा कि पिछले पांच वर्षों में 400 से अधिक छात्रों ने दीर्घकालिक और अल्पकालिक पाठ्यक्रम और फेलोशिप पूरी की हैं

अगस्त 2019 में लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के गठन के बाद, उन्होंने कहा कि उन्होंने लीज़ डीड को पूरा करने के लिए सरकार से बार-बार संपर्क किया लेकिन उनसे जवाब मिला कि लीज़ नीति अभी तक तैयार नहीं हुई है और इस बीच आप निर्माण कार्य जारी रख सकते हैं।

वांगचुक ने कहा ज़मीन का आवंटन एलएएचडीसी ने किया था लेकिन जब इसे रद्द किया गया तो डिप्टी कमिश्नर ने हिल काउंसिल को विश्वास में लिए बिना ही ऐसा कर दिया जो उसके जनादेश का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने आगे कहा कि यह लद्दाख के लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा हम चुप नहीं बैठेंगे और न्याय पाने के लिए अदालत का रुख करेंगे।

(Udaipur Kiran) / रमेश गुप्ता

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