
हकृवि के मृदा विज्ञान विभाग द्वारा तकनीकी कार्यक्रम आयोजितहिसार, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में मृदा विज्ञान विभाग की ओर से तकनीकी कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश तोमर, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. रमेश कुमार सहित विभाग के अधिकारी, विश्वविद्यालय के सभी विभागाध्यक्ष एवं मृदा विभाग के वैज्ञानिक उपस्थित रहे।अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने मंगलवार काे अपने सम्बोधन में कहा कि प्रयोगों की संख्या कम होने के साथ-साथ उनकी दक्षता बढऩी चाहिए। सतत खेती के तरीके खोजने के लिए गिनती की बजाय रिसर्च की गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि वे ऐसे अनुसंधान कार्यों को प्राथमिकता दें जिससे किसानों के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सके। डॉ. गर्ग ने कार्यशाला में सेवानिवृत अनुभवी वैज्ञानिकों की एक समिति गठित करनें का सुझाव भी दिया ताकि भविष्य में वैज्ञानिक अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए दीर्घकालिक प्रयोगों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। जिससे आने वाली पीढिय़ों के लिए उनकी अहमियत और वैज्ञानिक सटीकता बनी रहेगी। उन्होंने पोषक तत्व, सिंचाई एवं फसल अवशेष प्रबंधन के लिए टिकाऊ विकल्प खोजने और बढ़ती मृदा लवणता तथा खराब जल गुणवत्ता की समस्याओं का प्रभावी समाधान निकालने पर भी विशेष बल दिया। डॉ. गर्ग ने फसलों में बहु-पोषक तत्वों की कमी को पोषक तत्वों के उपयुक्त संयोजन से दूर करने और अन्य कृषि रसायनों के साथ इनकी संगतता खोजने हेतु बहु-विषयी दृष्टिकोण अपनाने की भी सलाह दी। अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने मृदा में जैविक पदार्थों की कमी जैसे पर्यावरण से जुड़ी एक बड़ी चिंता की ओर भी वैज्ञानिकों ध्यान दिलाया। उन्होंने समस्या को समझने और हल करने के लिए खास अध्ययनों की जरूरत पर भी जोर दिया, जो मृदा स्वास्थ्य ,उर्वरता और पैदावार को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है। सतत प्रथाओं को बढ़ावा देने के साथ उन्होंने फास्फोरस रिच ऑर्गेनिक मैन्योर के महत्व को दोहराया। कार्यशाला के समापन अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश तोमर ने सभी अधिकारियों का धन्यवाद किया।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
