कोलकाता, 08 जुलाई (Udaipur Kiran) । कोलकाता के सियालदह सेशंस कोर्ट ने मंगलवार को एक दशक पुराने दोहरे हत्याकांड में दोषी करार दिए गए रिक्शा चालक संजय सेन को फांसी की सजा सुनाई है। न्यायालय ने इसे ‘दुर्लभ से दुर्लभतम मामला’ बताते हुए कहा कि यह विश्वासघात और अत्यंत क्रूरता का प्रतीक है, जिसमें बुजुर्ग प्रोफेसर दंपति की निर्ममता से हत्या कर दी गई।
15 जुलाई 2015 को उत्तर कोलकाता के चितपुर स्थित आवासीय परिसर में सेवानिवृत्त प्रोफेसर प्राण गोबिंद दास और उनकी पत्नी रेणुका दास की बर्बर तरीके से हत्या कर दी गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, दोनों के चेहरों और सिर पर कई प्रहार किए गए और उनके चेहरों को क्षत-विक्षत कर दिया गया।
मंगलवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिर्बाण दास ने अपने फैसले में कहा कि यह अपराध न केवल हत्या है बल्कि भरोसे का घिनौना दोहन भी है। संजय सेन, जो पहले मछली विक्रेता था और बाद में रिक्शा चलाने लगा, लंबे समय से इस दंपति के संपर्क में था। वे उसे नियमित रूप से बैंक, बाज़ार और डॉक्टर के पास जाने के लिए साथ ले जाते थे।
न्यायाधीश ने कहा कि यह विश्वास जिसने आरोपित को उनके घर तक पहुंच दी, उसी का उसने शोषण किया। यह एक सोची-समझी योजना थी।
कोर्ट ने बताया कि आरोपित ने चार घंटे से अधिक समय तक दोनों को प्रताड़ित किया और फिर सोने के आभूषणों व नकदी के साथ घर से फरार हो गया। न्यायालय के अनुसार, इस कृत्य में केवल लूटपाट नहीं बल्कि एक प्रकार की सैडिस्टिक प्रवृत्ति झलकती है, जो किसी भी सामाजिक या आर्थिक स्थिति से उचित नहीं ठहराई जा सकती।
फैसले में न्यायाधीश दास ने कहा कि इस तरह के मामलों में मृत्यु दंड केवल सजा नहीं बल्कि समाज के लिए नैतिक संदेश भी है। यह स्पष्ट करता है कि भरोसे का दुरुपयोग, निर्दोष और निर्बल व्यक्तियों पर हिंसा और मानवीय गरिमा का उल्लंघन समाज में कभी सहन नहीं किया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
