
जम्मू, 4 सितंबर (Udaipur Kiran) । आगामी 7 और 8 सितंबर की मध्यरात्रि भाद्रपद पूर्णिमा पर खग्रास चंद्रग्रहण लगेगा, जो पूरे भारत में दृश्यमान होगा। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट, रायपुर (ठठर), जम्मू–कश्मीर के अध्यक्ष और ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि यह ग्रहण 7 सितंबर की रात 9:56 बजे शुरू होकर 8 सितंबर की सुबह 1:27 बजे समाप्त होगा। ग्रहण का खग्रास चरण रात 11:01 बजे प्रारंभ होकर 12:23 बजे तक रहेगा। सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:56 बजे से ही प्रभावी हो जाएगा।
महंत शास्त्री ने कहा कि यह चंद्रग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र और कुंभ राशि में घटित होगा तथा भारत के अलावा एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, पश्चिमी उत्तरी अमेरिका, फिजी और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में भी देखा जा सकेगा। ज्योतिषीय दृष्टि से यह पर्वतीय क्षेत्रों, पश्चिमी प्रांतों, पशुपालकों और कला–संगीत से जुड़े व्यक्तियों के लिए कष्टकारी रहेगा, वहीं कुछ राशियों को धन लाभ और उन्नति भी होगी।
उन्होंने राशियों पर प्रभाव बताते हुए कहा कि मेष और धनु राशि वालों को लाभ होगा, जबकि वृष, मकर और मीन राशि पर धन हानि और संकट की आशंका रहेगी। कर्क और कन्या जातकों को रोग और गुप्त चिंताओं का सामना करना पड़ सकता है, वहीं वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण कार्य सिद्धि और लाभकारी रहेगा। महंत शास्त्री ने ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी। इस दौरान भोजन पकाना, सोना, बाल–नाखून काटना, दाँत साफ करना और सिलाई–बुनाई जैसे कार्य वर्जित बताए गए। उन्होंने कहा कि पानी, दूध और अचार जैसी वस्तुओं में तुलसी या कुशा डालने से वे दूषित नहीं होते।
ग्रहण मोक्ष के बाद स्नान, जप, हवन, पूजन और दान का विशेष महत्व बताया गया। राशिनुसार गुड़, तिल, वस्त्र, चावल, दही और धातुओं का दान करना शुभ माना गया है। वेदों के अनुसार, सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय रात्रि स्नान और दान पुण्यकारी होते हैं। महंत शास्त्री ने कहा कि भाद्रपद पूर्णिमा का श्राद्ध और व्रत पूजन 7 सितंबर को दोपहर 12:50 बजे से पहले ही कर लेना चाहिए, ताकि ग्रहण काल का प्रभाव न पड़े।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
