
चिकित्सा मंत्री ने कहा- कमेटी बनाकर दो बार जांच करवा चुके
जोधपुर, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । खांसी की कफ सिरफ दवा पर प्रदेश में चल रहे विवाद को लेकर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि प्रदेश में कफ सिरप की दवा की वजह से मौतें नहीं हुईं। हमने इसकी कमेटी बिठाकर जांच भी करवा दी है। जांच में भी ऐसा कुछ सामने नहीं आया। दो बार दवा की जांच करवा चुके हैं। वे शनिवार को सर्किट हाउस में मीडिया से रूबरू थे।
इस दौरान गजेंद्र सिंह खींवसर से पूछा गया कि केंद्र सरकार ने कुछ ही घंटे पहले इस दवा के फार्मूले को बैन किया है तो इस पर वह अपने साथ मौजूद अधिकारों से जानकारी लेने लगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार भी इसकी जांच करवाएगी। मंत्री ने कहा कि जो मौत के बाद दावा किया जा रहा है कि सिरप की वजह से हुई है। ऐसा नहीं है। हमने कफ सिरप के फार्मूले की पूरी जांच करवाई है। इससे यह स्पष्ट हुआ की मौत कफ सिरप लेने की वजह से नहीं हुई है। मंत्री से पूछा गया कि प्रदेश में हॉस्पिटलों में भी अब भी इस दवा को लिखा जा रहा है। जोधपुर में ही शुक्रवार को भी एक हॉस्पिटल में यही दवा लिखी गई थी।
इस पर उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी दीजिए हम इस पर कार्रवाई करवाएंगे। कौनसे सरकारी हॉस्पिटल में लिखी गई है, उसकी पर्ची या पूरी जानकारी दीजिए। उसकी जांच कर लेंगे। इस पर रोक लगने के बारे में उन्होंने बताया कि 28 सितंबर को ही रोक लग गई थी। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों में प्रकाशित जानकारी के अनुसार सिरप का मरीजों द्वारा उपयोग करने पर उल्टी, नींद, घबराहट, चक्कर, बेचैनी, बेहोशी आदि की शिकायत सामने आई। शिकायत प्राप्त होने पर विभाग ने तत्काल प्रभाव से शिकायती बैचों के वितरण व उपयोग पर रोक लगा दी। साथ ही, इन बैचों के वैधानिक नमूने लेकर गुणवत्ता जांच के लिए राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भिजवाया गया। इसी दौरान विभिन्न समाचार पत्रों में भरतपुर, सीकर व झुन्झुनू जिलों में बच्चों के खांसी की दवा से बीमार एवं 3 प्रकरणों में मृत्यु होने की खबरें प्रकाशित हुईं। तीनों ही प्रकरणों में जांच में चिकित्सक द्वारा उक्त दवा लिखे जाने एवं दिए जाने की पुष्टि प्राथमिक जांच में नहीं हुई है।
हनुमान बेनीवाल पर साधा निशाना
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल द्वारा इस मामले की जांच एसओजी से कराने की मांग को लेकर पूछे गए सवाल पर चिकित्सा मंत्री ने यह कहते हुए टाल दिया कि वो तो हर प्रकरण की एसओजी बोलता है। चिकित्सा मंत्री ने कहा कि कोई भी दवा बनने से लेकर मरीज को देने से पहले तक चार चरणों में जांच होती है। इसमें पहले दवा बनने पर मैन्युफैक्चरिंग स्टेज में जांच होती है। इसके बाद जब हमारे पास दवाई आती है, तब हम उसको चैक करते हैं, फार्मेसिस्ट पर जाकर सब स्तर पर चैक करते हैं। इसके अलावा जब भी किसी दवा को लेकर कोई शिकायत आती है, तब भी उसकी गहराई से जांच होती है।
गुणवत्ता का फुल प्रूफ सिस्टम विकसित
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेशवासियों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के कुशल नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं के उन्नयन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। आमजन के स्वास्थ्य से जुड़े हर विषय पर राज्य सरकार गंभीरता एवं संवेदनशीलता के साथ निर्णय लेती रही है एवं किसी भी तरह की लापरवाही सामने आने पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की गई है। मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत करोड़ों लोगों को निशुल्क दवा मिल रही है और गरीब एवं जरूरतमंद सहित सभी वर्ग ओपीडी में इलाज खर्च की चिंता से मुक्त हुए हैं। विभाग ने इस योजना में दवाओं की गुणवत्ता का फुल प्रूफ सिस्टम विकसित किया हुआ है।
(Udaipur Kiran) / सतीश
