
भाेपाल, 7 जुलाई (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था की बदहाली एक बार फिर सुर्खियों में है। शिक्षकों की कमी को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। पूर्व सीएम कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए सरकारी स्कूलों की दयनीय स्थिति को उजागर किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने साेमवार काे साेशल मीडिया एक्स पर पाेस्ट करते हुए लिखा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 70,000 शिक्षकों की कमी है। वहीं मौजूदा शिक्षकों में से 15, हज़ार ऐसे हैं जो शैक्षणिक कार्य करने की जगह दूसरे कामों में लगाए गए हैं।प्रदेश में 1275 स्कूल ऐसे हैं जहाँ कोई शिक्षक नहीं हैं और 6858 स्कूल ऐसे हैं जहाँ पर सिर्फ़ एक शिक्षक की नियुक्ति की गई है। यह साफ़ बताता है कि भाजपा सरकार की इच्छा स्कूलों में पढ़ाई कराने की नहीं है और जानबूझकर बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। पूर्व सीएम ने कहा कि मैं सरकार से माँग करता हूँ कि इन ख़ाली 70, हज़ार शिक्षकों के पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शीघ्र अतिशीघ्र शुरू की जाए। इससे ना सिर्फ़ बच्चों को बेहतर पढ़ाई मिल पाएगी बल्कि प्रदेश में योग्य बेरोजगारों को सम्मानजनक नौकरी भी मिलेगी। यह अलग से बताने की ज़रूरत नहीं है कि प्रदेश में स्कूली शिक्षा की हालत अत्यंत दयनीय है। मध्य प्रदेश बोर्ड की दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणाम पहले ही साबित कर चुके हैं कि प्रदेश में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कसा तंज नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने भी ट्वीट कर सरकार काे घेरते हुए कहा मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों के हाल देखिए! 70,000 शिक्षकों की भारी कमी हैं और जो बचे हैं उनमें से 15,000 से ज़्यादा शिक्षक बाबूगिरी करने में व्यस्त हैं, तो पढ़ाई किसके भरोसे? हिंदी के शिक्षक कॉमर्स पढ़ा रहे हैं, मिडिल स्कूल के मास्टर 12वीं की गणित पढ़ा रहे हैं। न कोई पढ़ाई की तैयारी, न विषय के अनुसार शिक्षक! मानो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था ‘काम चलाओ’ नीति के तहत चल रही है। शिक्षा मंत्री खुद दो महीने पहले ‘अटैचमेंट खत्म करो’ का आदेश दे चुके हैं, लेकिन फाइलें धूल खा रही हैं और लाखों विद्यार्थियों का भविष्य भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। भाजपा सरकार की प्राथमिकता में बच्चों की शिक्षा नहीं, बस दिखावे की घोषणाएं और आंकड़ों की जादूगरी है। सिंघार ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को ‘काम चलाओ’ नीति के हवाले छोड़ दिया है। प्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं में लाखों बच्चे फेल हो रहे हैं। मध्य प्रदेश में देश में सबसे ज्यादा फेल होने की दर है, और इसका सबसे बड़ा कारण शिक्षकों की कमी और अयोग्य शिक्षकों द्वारा पढ़ाई है, उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं जैसे पीने का पानी, शौचालय, और बिजली तक उपलब्ध नहीं हैं। बड़े शहरों के स्कूल भी बिना शिक्षकों के चल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति तो और भी बदतर है। सरकार की प्राथमिकता में बच्चों की शिक्षा नहीं, बल्कि दिखावे की घोषणाएं और आंकड़ों की जादूगरी है, सिंघार ने कहा।
बता दें कि दो महीने पहले ही प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने विभागीय बैठक में शिक्षकों के अटैचमेंट को खत्म करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद कई विभागों में शिक्षक अटैच हैं।
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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे
