Madhya Pradesh

मप्र में कुपोषण की स्थिति को लेकर कमलनाथ ने सरकार को घेरा, नेता प्रतिपक्ष सिंगार ने भी पूछे सवाल

. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ फाइल फाेटाे
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार फाइल फाेटाे

भाेपाल, 5 जुलाई (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश में कुपाेषण की स्थिति काे लेकर कांग्रेस एक बार फिर हमलावर हाे गई है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने कुपोषण को लेकर एक बार फिर मध्य प्रदेश सरकार को घेरा है। दाेनाें कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर कुपोषण पीड़ित बच्चों का आंकड़ा छिपाने और मध्य प्रदेश के बच्चों का आहार खाने का आराेप लगाया है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक समाचार पत्र में छपी खबर का हवाला देते हुए शनिवार काे ट्वीट के माध्यम से सरकार काे घेरा। कमलनाथ ने साेशल मीडिया एक्स पर पाेस्ट करते हुए लिखा मध्य प्रदेश में कुपोषण एक विकराल समस्या बनता जा रहा है। प्रदेश के 55 जिलों में से 45 जिलों के बच्चों में कम वजन के मामले रेड जोन में पाए गए हैं। प्रदेश में कुपोषण से लड़ने के लिए 4895 करोड रुपए का बजट दिया गया है लेकिन प्रदेश की 97000 आंगनबाड़ियों में 38% बच्चे कुपोषण की चपेट में पाए गए। भोपाल के 27%, इंदौर के 45%, उज्जैन के 46% और ग्वालियर चंबल में लगभग 35% बच्चे गंभीर कुपोषण वाली सूची में रजिस्टर्ड हैं।

कमलनाथ ने आगे कहा कि कुपोषण के यह आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में बच्चों के पोषण पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है और इतने बड़े बजट को या तो खुर्द-बुर्द किया जा रहा है या फिर इसमें गंभीर भ्रष्टाचार की आशंका है। पूर्व सीएम ने कहा कि मैं सरकार से मांग करता हूं इस पूरे मामले की विस्तृत जांच कराई जाए और बच्चों के लिए पोषण आहार सुनिश्चित किया जाए। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का कुपोषण का शिकार होना प्रदेश के भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। जब बच्चे ही स्वस्थ नहीं होंगे तो प्रदेश का क्या भविष्य होगा?

नेता प्रतिपक्ष ने पूछे सवालइसी तरह नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने भी ट्वीट कर सरकार से कुपाेषण की स्थिति काे लेकर सवाल पूछे है। सिंगार ने अपने एक्स पाेस्ट में लिखा

मध्यप्रदेश के बच्चों का आहार खा गई भाजपा सरकार! महिला एवं बाल विकास विभाग के पोषण ट्रैकर एप ने सरकार की पोल खोल दी है।

साल 2025-26 में कुपोषण से लड़ने के नाम पर 4895 करोड़ रुपये का बजट रखा गया लेकिन जमीन पर हकीकत शर्मनाक है। राज्य के 45 जिले रेड ज़ोन में हैं यानी यहाँ 20% से ज्यादा बच्चे कम वज़न के हैं, वहीं 22 जिलों में बच्चों में ठिगनापन यानी लंबाई उम्र से कम है। भोपाल में 27%, इंदौर में 45%, उज्जैन में 46%, तथा चंबल क्षेत्र में 35% बच्चे गंभीर कुपोषित हैं। साथ ही प्रदेश की 97 हजार आंगनवाड़ियों में से 38% में गंभीर कुपोषण वाले बच्चे दर्ज हैं। ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं बल्कि यह उन मासूमों की चीख है, जिनके हिस्से में भूख आई, पोषण नहीं।

तो अब कुछ सवाल लाज़मी हैं:

– 4895 करोड़ का भारी भरकम पोषण बजट आखिर गया कहाँ?

– जब आंकड़े खुद खुद स्थिति की भयवाहता बता रहे हैं तो सरकार किस मुंह से विकास की बात कर रही है?

– मध्यप्रदेश की स्थिति राष्ट्रीय औसत और पड़ोसी राज्यों से भी नीचे है तो क्या सरकार की नजर में यही सुशासन है? मुख्यमंत्री जी, आपकी कागज़ी विकास वाली बुलेट ट्रेन ज़रूर दौड़ रही है, लेकिन उसकी पटरियाँ करप्शन, कमीशन और कुपोषण से जंग खा चुकी हैं।

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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे

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