Uttrakhand

भगवान के नाम उच्चारण मात्र से कल्याण संभव: विज्ञानानंद

स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती

हरिद्वार, 4 जुलाई (Udaipur Kiran) । श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परम अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत पांचवा वेद और ऐसा सरस फल है जिसमें सब कुछ ग्राह्य है, कुछ भी त्याज्य नहीं है। वे आज राजा गार्डन स्थित श्री हनुमान मंदिर में श्री गीता विज्ञान आश्रम ट्रस्ट के तत्वावधान में गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का अमृतपान करवा रहे थे।

अजामिल का वृतांत सुनाते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति चाहे कितना ही पतित क्यों न हो जाए, भगवान के नाम का उच्चारण करने मात्र से उसका कल्याण हो जाता है। सांसारिक रीति रिवाजों की व्याख्या करते हुए कथा व्यास ने कहा कि सत्कर्मों की तुलना में दुष्कर्म व्यक्ति को शीघ्र प्रभावित कर लेते हैं। अजामिल शुद्ध रूप से पूजापाठी ब्राह्मण था, लेकिन दुष्कर्म दृश्यता ने उसे वैश्यागामी बना दिया।

भागवत कथा श्रवण को भगवान के भजन पूजन से भी अधिक पुण्य फलदायी बताते हुए उन्होंने कहा कि भगवान ने संत रूप में अजामिल को दर्शन देकर उसे अपने पुत्र का नाम नारायण रखने का सुझाव दिया और नारायण शब्द के उच्चारण मात्र से ही अजामिल का कल्याण हो गया। श्रीमद् भागवत को भवसागर की वैतरिणी बताते हुए उन्होंने कहा कि महर्षि वेदव्यास ने सभी धर्म ग्रंथों का सार इस पंचम वेद में समाहित किया है, अतः भागवत कथा श्रवण करने के बाद व्यक्ति को अन्य किसी ग्रंथ के पठन-पाठन अथवा श्रवण की आवश्यकता ही नहीं रह जाती है। श्रीगीता विज्ञान आश्रम ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित अमृत वचनों की शृंखला में कल भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का रसपान कराया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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