Bihar

कहलगांव विधानसभा, पवन यादव बिगाड़ेंगे खेल

फाइल फोटो

भागलपुर, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । जिले के कहलगांव विधानसभा से 9 बार कांग्रेस पार्टी से विधायक रहे स्वर्गीय सदानंद सिंह के पुत्र बीते विधानसभा चुनाव में अपने पिता की विरासत को संभालने में नाकाम रहे। उन्हें भाजपा के पवन यादव ने 42893 मतों से पराजित किया था लेकिन इस बार शुभानंद मुकेश ने जदयू का दामन थाम कर एनडीए गठबंधन से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन इस बार का भी राजनीतिक समीकरण उनके विपरीत जाता दिख रहा है।

हालांकि इस विधानसभा में चतुर्थकोनीय मुकाबला होने की संभावना दिख रही है। इस बार कहलगांव विधानसभा से झारखंड के मंत्री संजय यादव के पुत्र रजनीश यादव, कांग्रेस से प्रवीण सिंह कुशवाहा और भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज पवन यादव ने बागी तेवर अपनाते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन कराया है, जबकि भागलपुर के सांसद अजय मंडल के भाई अनुज मंडल निर्दलीय लड़ रहे हैं। कहलगांव विधानसभा सन्हौला, गोराडीह और कहलगांव प्रखंड से मिलकर बना हुआ है। यह कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती रही है। कांग्रेस ने सर्वाधिक 11 बार इस सीट पर अपना कब्जा जमाया।

बिहार में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे सदानंद सिंह 9 बार कहलगांव से विधायक रहे। इसके अलावा दो बार जनता दल और एक-एक बार सीपीआई एवं जेडीयू भी यहां अपना परचम लहरा चुकी है। 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े पवन यादव ने सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद को हराकर पहली बार कहलगांव में कमल खिलाया। जातिगत समीकरण की बात करें तो कहलगांव में यादव और मुस्लिम मतदाता प्रमुख भूमिका में माने जाते हैं। साथ ही ब्राह्मण, कोइरी, रविदास और पासवान जाति के मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं। कहलगांव विधानसभा क्षेत्र गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। बाढ़ और कटाव की समस्या यहां प्रमुख है। इसके अलावा रोजगार, कृषि, बिजली, सड़क जैसे मुद्दे भी प्रमुखता से छाए रहते हैं। यहां इस बार का चुनावी माहौल पूरी तरह से असमंजस भरा है। मतदाताओं के बीच गहरी चर्चा है कि वोट आखिर किसे दिया जाए मोदी के नाम पर, विकास के काम पर या जातीय समीकरण के हिसाब से। कहलगांव के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहर तक एक बात आम सुनाई देती है मोदी जी मुफ्त राशन दे रहे हैं, इसलिए वोट तो मोदी को ही देना चाहिए। लेकिन मुश्किल यह है कि इस बार कहलगांव विधानसभा सीट भाजपा के खाते में नहीं, बल्कि जदयू को दे दी गई है। कहलगांव विधानसभा क्षेत्र की जनता यह सवाल उठ रही है कि जिनके पिता कहलगांव विधानसभा क्षेत्र से कॉग्रेस पार्टी से 45 साल तक विधायक और मंत्री रहे, उनके रहते भी कहलगांव का विकास नहीं हुआ, तो अब वही चेहरा पार्टी बदलने से क्या नया करेगा। बिहार विधानसभा चुनाव वर्ष 2020 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर पवन कुमार यादव ने कांग्रेस के मजबूत गढ़ कहलगांव में कमल खिलाया था। उनके कार्यकाल में शहर से लेकर गांवों तक विकास कार्यों की शुरुआत हुई और जनता के बीच उनकी छवि एक मिलनसार नेता की बनी। कहलगांव विधानसभा क्षेत्र की मतदाताओं के अनुसार, पवन यादव की पकड़ सभी जाति और वर्ग के मतदाताओं में मजबूत मानी जा रही है। कहलगांव सीट पर महागठबंधन में भी एकजुटता नहीं दिख रही है। यहां से कांग्रेस ने अपने पुराने सिपाही प्रवीण सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है, जबकि राजद ने रजनीश यादव को टिकट दिया है। प्रवीण सिंह कुशवाहा करीब 40 साल से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं और क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कुशवाहा और मुस्लिम मतदाता इस बार निर्णायक भूमिका में रहेंगे, जिसका सीधा फायदा कुशवाहा को मिल सकता है। दूसरी ओर, राजद उम्मीदवार रजनीश यादव झारखंड सरकार के मंत्री संजय प्रसाद यादव के पुत्र हैं। जातिगत गणित के हिसाब से रजनीश यादव भी टक्कर में दिख रहे हैं। कहलगांव की राजनीति में यादव, कुशवाहा, मुस्लिम और मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। जहां पवन यादव को सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है, वहीं प्रवीण सिंह कुशवाहा को कांग्रेस संगठन और अल्पसंख्यक वोटों का लाभ मिलने की पूरी संभावना है। वहीं शुभानंद मुकेश एनडीए गठबंधन के समर्थन के सहारे मैदान में टिके हुए हैं, परंतु क्षेत्र में ईमानदारी से विकास न होने की नाराजगी उनके लिए चुनौती बन सकती है।

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(Udaipur Kiran) / बिजय शंकर

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