Jharkhand

कुडमी समाज की मांगों पर सहमति देनेवाले गुरूजी और हेमंत सोरेन के निर्णय से पीछे हट रहा झामुमो : सुदेश

कुडमी समाज के आंदोलन के दौरान सुदेश महतो

रांची, 20 सितंबर (Udaipur Kiran News) । सुदेश और चंद्रप्रकाश सहित आजसू के कई नेता रेल पटरियों पर उतरकर कुड़मी समुदाय के रेल टेका, डहर छेका आंदोलन का समर्थन किया। इस दाैैैैरान आजसू के कई नेता और कार्यकर्ता विभिन्न जिलों और रेलवे स्टेशनों पर आंदोलन में शामिल हुए और आवाज बुलंद की।

मौके पर पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो मूरी रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों के साथ डटे रहे। वहीं सांसद चन्द्र प्रकाश चौधरी और पूर्व विधायक डॉ लम्बोदर महतो जोगेश्वर बिहार, चंद्रपुरा और पारसनाथ स्टेशनों पर आंदोलन में शामिल हुए।

वहीं मांडू विधायक निर्मल महतो चरही स्टेशन पर आंदोलन का नेतृत्व किया। पूर्व विधायक सुनीता चौधरी ने बरकाकाना स्टेशन पर उपस्थित रहीं। बोकारो जिला अध्यक्ष सचिन महतो, पूर्व जिप सदस्य टिकैत महतो और नवीन महतो के साथ चंद्रपुरा स्टेशन पर सक्रिय रहे।

केंद्रीय महासचिव हरेलाल महतो सरायकेला के हेसालोंग में और केंद्रीय महासचिव संजीव महतो ने संथाल परगना में आंदोलन भाग लिया। इसके अलावा विभिन्न जिलों में आजसू नेता–कार्यकर्ता रेल पटरियों पर उतरे और परिचालन बाधित किया।

आजसू लगातार कुड़मी समाज के साथ खड़ी रही

इस दौरान मुरी स्टेशन पर आंदोलनकारियों को संबोधित सुदेश महतो ने कहा कि आजसू लगातार कुड़मी समाज के साथ खड़ी रही है। कुड़मी समुदाय धैर्य के साथ विगत 90 वर्षों से अपने साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय के खिलाफ लड़ता आ रहा है। इसके धैर्य की अब और परीक्षा नहीं ली जाए। अब समय आ गया है कि राज्य और केंद्र सरकार अविलंब फैसला ले। सुदेश ने कहा कि कुड़मी समुदाय ने अपनी ताकत दिखा दी है। कुड़मी को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता दिलाने की ऐतिहासिक मांग को लेकर झारखंड सहित आसपास के राज्यों में रेल टेका–डहर छेका आंदोलन का व्यापक रूप से सफल रहा है। उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज को 1931 में एसटी सूची से बाहर कर दिया गया था। तब से यह समाज अपने अधिकारों की लड़ाई लगातार लड़ रहा है।

इस दौरान उन्होंने हेमंत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पहले शिबू सोरेन ने और 2019 में और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वयं कुड़मी समाज की मांग को स्वीकार करते हुए उस पर अपनी सहमति जताई थी और हस्ताक्षर भी किए थे, लेकिन आज वही झामुमो अपने रुख से पीछे हट रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक लंबी लड़ाई है। जैसे देश की आज़ादी एक दिन में नहीं मिली, वैसे ही समाज ने समय के साथ जागरूकता और एकता के बल पर अपनी आवाज बुलंद की है। परंतु वर्तमान सरकार इस विषय पर गंभीर नहीं दिख रही है और लगातार अपने रुख में बदलाव कर रही है।

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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak

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