श्रीनगर, 29 सितंबर (Udaipur Kiran News) .। एक आरटीआई के जवाब से पता चला है कि जम्मू और कश्मीर सड़क परिवहन निगम (जेकेआरटीसी) कश्मीर प्रांत में अपने प्रतिष्ठानों में लाखों रुपये की बिजली शुल्क देनदारियों के बोझ तले दबा हुआ है। कुल बकाया 60 लाख रुपये से ज्यादा है।
आरटीआई कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् एम. एम. शुजा को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दी गई जानकारी में विभिन्न जेकेएसआरटीसी इकाइयों के लंबित बिजली बकाये का विवरण दिया गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च, 2025 तक टीआरसी श्रीनगर स्थित पर्यटक सेवा प्रभाग पर सबसे ज़्यादा 53.70 लाख रुपये की देनदारी है।
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अन्य प्रमुख चूककर्ताओं में लाल चौक स्थित जेकेआरटीसी ई-बस चार्जिंग स्टेशन शामिल है जिस पर 6.12 लाख रुपये बकाया है और बेमिना स्थित पीएमडी वर्कशॉप जिस पर 4.32 लाख रुपये बकाया हैं। बेमिना स्थित ई-बस स्टेशन पर 2.24 लाख रुपये बकाया हैं जबकि पंपोर स्थित सीडब्ल्यूएस पर 67,246 रुपये बकाया हैं।
बताया गया है कि अनंतनाग डिपो पर जून 2023 तक 30,898 रुपये का बकाया है। इसके विपरीत एमए रोड स्थित जेकेएसआरटीसी मुख्यालय परिमपोरा स्थित लोड वर्कशॉप, एमए लिंक रोड स्थित प्रिंटिंग प्रेस, बारामूला डिपो, अनंतनाग स्थित सब-वर्कशॉप और बटामलो स्थित मैनेजर पैसेंजर सर्विसेज यूनिट सहित कई इकाइयों पर कोई बकाया नहीं है और उनके खाते विभिन्न तिथियों तक चुकाए जा चुके हैं।
इस खुलासे ने एक बार फिर केंद्र शासित प्रदेश द्वारा संचालित परिवहन निकाय के वित्तीय दबाव को उजागर कर दिया है। जेकेआरटीसी जो पहले से ही बढ़ती परिचालन लागत और घटते राजस्व से जूझ रहा है पर बार-बार खराब वित्तीय प्रबंधन का आरोप लगाया गया है। स्थानीय लोगों ने चिंता व्यक्त की है कि इस तरह की लंबित देनदारियाँ परिवहन सेवाओं के संचालन को प्रभावित कर सकती हैं खासकर ऐसे समय में जब घाटी में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और ई-बस संचालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
हालांकि अधिकारियों ने कहा कि लंबित बकाया राशि के भुगतान के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। जेकेआरटीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमें देनदारियों की जानकारी है और चरणबद्ध तरीके से बकाया राशि चुकाने के प्रयास जारी हैं।
ई-बसों के चार्जिंग स्टेशनों का बकाया कश्मीर में इलेक्ट्रिक परिवहन की स्थिरता पर सवाल खड़े करता है। एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि अगर ई-बस चार्जिंग स्टेशन जैसी आवश्यक इकाइयाँ भी बिजली बिलों का भुगतान नहीं कर रही हैं तो यह गंभीर वित्तीय कुप्रबंधन को दर्शाता है।
(Udaipur Kiran) / राधा पंडिता
