Haryana

जींद : महिलाएं संतान की दीर्घायु के लिए सोमवार को रखेंगी अहोई अष्टमी व्रत

अशोक पुजारी।

जींद, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन महिलाएं संतान की दीर्घायु के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। साथ ही बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए महिलाएं द्वारा अहोई माता का पूजन किया जाता है, जिसके प्रभाव से संतान सुख और उसके उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा व्रत में तारों का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जब आसमान में तारे दिखाई देने लगते हैं, तब उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। फिर महिलाएं अपने व्रत का पारण करती हैं।

ऐसा करने पर अहोई माता प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। रविवार को महाराजा अग्रसेन मंदिर पुजारी अशोक शर्मा ने बताया कि पंचांग के मुताबिक अहोई अष्टमी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ रही है। इस बार यह तिथि 13 अक्टूबर को देर रात्रि 12:24 मिनट से प्रारंभ होगी। इसका समापन 14 अक्टूबर को सुबह 11:09 मिनट पर है। ऐसे में अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्तूबर को रखा जाएगा।

पुजारी ने बताया कि अहोई अष्टमी के दिन पूजा का शुभ समय शाम 5:53 मिनट से प्रारंभ होगा और शाम 7 बजकर 8 मिनट तक बना रहेगा। अहोई अष्टमी पर तारों को अर्घ्य देने का समय शाम छह बजकर 17 मिनट तक है। अहोई के दिन सुबह ही स्नान कर लें। इसके बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करें और दीवार पर कुमकुम से अहोई माता की तस्वीर बना लें फिर आप अहोई माता के समक्ष दीपक जलाकर थाली में कुछ फूल, फल और मिठाई रख लें। इस दौरान आप दान की चीजें और पूजन की सामग्री को भी रख लें। माता के सामने घी का दीपक जलाएं और बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें। इसके बाद शाम को तारे निकलने के बाद उन्हें अर्घ्य दें फिर घर में बने पकवानों का भोग माता को अर्पित करें। बड़ों का आशीर्वाद लेकर व्रत का पारण करें।

—————

(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा

Most Popular

To Top