
झुंझुनू, 25 सितंबर (Udaipur Kiran News) । प्रदेश के झुंझुनू जिले ने 74.02 प्रतिशत जन्म प्रमाण पत्र समय पर जारी करके राज्य में मिसाल पेश कर अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। जिले के तीन बड़े अस्पतालों ने विशेष उपलब्धि हासिल की है। इनमें राजकीय जिला अस्पताल नवलगढ़ ने 647 जन्म में से 556 प्रमाण पत्र जारी कर, उप जिला अस्पताल चिड़ावा ने 446 जन्म में से 358 प्रमाण पत्र जारी कर और राजकीय भगवानदास खेतान अस्पताल झुंझुनू ने 1861 जन्म में से 1491 प्रमाण पत्र समय पर जारी कर विशेष उपलब्धि दर्ज की है।
जिले के मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. छोटेलाल गुर्जर ने बताया कि झुंझुनू जिले ने इस मामले में बेहतरीन कार्य किया है और प्रदेश में अव्वल रहा है। उन्होंने जोर दिया कि नए आदेशों के बाद अब जिले के सभी अस्पतालों में यह सुनिश्चित कर दिया गया है कि किसी भी शिशु को जन्म प्रमाण पत्र दिए बिना डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा।
वहीं राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में जन्म प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में बड़ी लापरवाही सामने आई है। अप्रैल से 31 अगस्त 2025 के बीच दर्ज हुए 3.23 लाख से अधिक जन्मों में से केवल 33.86 प्रतिशत मामलों में ही समय पर जन्म प्रमाण पत्र दिए गए। इस बेहद चिंताजनक स्थिति पर मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. अमित यादव ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है और व्यवस्था को शत प्रतिशत लागू करने के सख्त निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के कड़े निर्देश थे कि राजकीय अस्पताल में जन्म लेने वाले शिशु को बिना जन्म प्रमाण पत्र जारी किए डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा। साथ ही शिशु के जन्म के तुरंत बाद पीसीटीएस पोर्टल पर पंजीकरण कर प्रमाण पत्र देना अनिवार्य था। हालांकि पांच महीने की समीक्षा रिपोर्ट ने सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के राजकीय अस्पतालों में कुल 3,23,304 जन्म दर्ज किए गए, लेकिन केवल 1,09,475 शिशुओं के ही प्रमाण पत्र समय पर जारी किए गए। यह प्रतिशत मात्र 33.86 है।
मिशन निदेशक डॉ. यादव ने इस लेटलतीफी को खत्म करने और जन्म प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को अनिवार्य रूप से लागू करने के निर्देश दिए हैं। तकनीकी अड़चनों को दूर करने के लिए सभी अस्पतालों को तेज इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध कराने की बात भी कही गई है।
—————
(Udaipur Kiran) / रमेश
