
अयोध्या, 27 जुलाई (Udaipur Kiran) । सिद्धपीठ सियारामकिला झुनकीघाट के पूर्वाचार्य जगतगुरु स्वामी जानकी शरण उर्फ झुनझुनिया बाबा जिन्हाेंने रामनाम के सच्चे साधक के रूप में न सिर्फ अयोध्या अपितु पूरे भारत में अलख जगायी। रविवार को चरण पादुका पूजन एवं अभिषेक संग उनकी 31वीं पुण्यतिथि श्रद्धापूर्वक मनाई गई। झुनझुनिया बाबा का नाम अयोध्या के सिद्ध संतों में शामिल है। बाबा को मां सीता की सखी चंद्रकला का अवतार कहा जाता है। यही वजह थी कि बाबा हमेशा स्त्री रूप और राम धुन में लीन रहते थे।
रसिक भाव से रामनाम का प्रचार कर उसे जनमानस के हृदय में प्रतिष्ठित करने वाले झुनझुनिया बाबा की गिनती अयोध्या के सिद्ध संतों की अग्रणी पंक्ति में की जाती है। आचार्य श्री की तपोस्थली आज अपने सर्वोच्च शिखर की ओर अग्रसर है। जो चतुर्दिक धर्म की स्थापना, समाज, गौ, अतिथि, विद्यार्थी, संत व दरिद्र नारायण की सेवा में भी दिन प्रतिदिन निरंतर आगे बढ़ रहा है। मठ को भक्ति, श्रद्धा समर्पण और प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। जिसे भक्ति और साधना के दृष्टि से भी सर्वोत्तम स्थान माना गया है। यहां पहुंचकर संत साधक अपने परमाराध्य प्रभु की आराधना कर अपने को कृत-कृत करते है। मंदिर में लगातार आज भी सीताराम धुन कीर्तन संपादित कर महौल को भक्ति मय बना देता है। कहते हैं कि भजनानंदीयों के लिए उत्तम शोर से परमशांत गुफा किला से सरयू तक जाने का गुप्त मार्ग झुनकी उद्यान मिथिला वाटिका संत्संग भवन श्रीयुगल बिहारी जू का अद्भुत दर्शन जैसी भाव-भंगिमा रखे ठाकुर जी वैसा ही बन जाए आदि सियाराम किला का विशिष्ट गुण है। महाराज श्री उल्टी खाट पर बैठकर रामनाम सत्य है की धुन लगाते हुए यात्रा करते थे। वह कानों में बाली, हाथों में कंगन, पैरों में घुंघरू पहन के सीता की सखी चंद्रकला के रूप में ही आजीवन भगवान श्रीराम की आराधना में लीन रहे। सत्यभाव से सीताराम की उपासना की धारा प्रज्वलित की। जो आज भी करोड़ों लोगों को रामनाम रूपी दिव्य रस का अनुभव कराती है।
मंदिर के वर्तमान महंत करुणानिधान शरण ने कहा कि महाराज श्री ने कई दशक तक कठोर तपस्या कर भगवान का साक्षात दर्शन प्राप्त किया। किशोरी जी से उन्हें जन कल्याण का आदेश मिला। आश्रम के छाेटे महंत एवं प्रख्यात कथावाचक स्वामी प्रभंजनानंद शरण महराज प्रभुवंदन एवं जनसेवा संस्थान द्वारा निरंतर दीन-दुखी, असहाय की मदद करना, वृद्धजनों, वृद्धा आश्रम असहाय व निर्धन कन्याओं का विवाह करना, विशाल गौशाला प्राकृतिक प्रकोप यानि बाढ़ भूकप में राहत देना, सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार करना जैसी तमाम योजनाएं चला कर निरंतर लोगों की मदद करते चले आ रहे है। इस अवसर पर रामनगरी के सभी संत-महंत, धर्माचार्य व मंदिर ये जुड़े शिष्य-अनुयायी, परिकर माैजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय
