
जयपुर, 20 जुलाई (Udaipur Kiran) । जवाहर कला केन्द्र की ओर से 7 जुलाई से ध्रुवपद-गायन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिसका समापन समारोह 23 जुलाई को सायं 3 बजे कृष्णयन सभागार में होगा, जिसमें विद्यार्थी अपने सीखे हुए सबक का प्रदर्शन करेंगे। इसमें इस बार ध्रुवपद के घरानेदारी के साथ कार्यशाला की विशेषज्ञ गुरू विदुषी प्रोफेसर डॉ मधु भट्ट तैलंग एवं उनके गुरू पद्म श्री पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग द्वारा सृजित रचनाओं के नवाचार ख़ास होंगे, साथ में ही वर्षा ऋतु पर भारतीय परम्परानुसार शिव की वंदना हेतु शिव पर आधारित रागें एवं रचनाओं का प्रदर्शन भी होगा। गौरतलब है कि इस कार्यशाला में 80 विद्यार्थी पंजीकृत हुए हैं जो सामूहिक रूप से गायन करेंगे। कार्यशाला में 9 वर्ष से लेकर 70 वर्ष तक के प्रतिभागी शामिल है।
कार्यशाला में वैदिक ओमकार-साधना, गणपति, शारदा एवं गुरू स्तोत्र,कोमल,शुद्व एवं तीव्र स्वर -साधना हेतु 10 थाटों का अभ्यास, ध्रुवपद में प्रयुक्त सभी प्रचलित और साथ ही कुछ अप्रचलित रूद्र आदि तालों को हाथ से लगाने के कुछ खेल- खेल में तरीके सिखाए गए। वर्षा ऋतु में भारतीय सनातन संस्कृति में शिव की आराधना का विशेष महत्व होता है इसलिए विशेष रूप से शिव से जुडी कुछ प्रचलित – अप्रचलित रागों जैसे मालकोन्स शिवरंजनी में आलाप, प्रचलित-अप्रचलित तालों जैसे चौताल, सूलताल एवं रूद्र तालों में ध्रुवपद- बंदिशों का आड़ी, दुगुन से अठगुण आदि लयकारिओं का प्रदर्शन होगा। इन बंदिशों में आदिनाद ब्रह्म नाद,भज शिव ॐकार आदि रचनाएं गुरू पद्मश्री पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग एवं डॉ मधु भट्ट तैलंग द्वारा कृत है। विशेष आकर्षण भारतीय देव नागरी को स्वर – व्यंजन देने वाले 14 माहेश्वर सूत्रों को ‘नृत्यावसाने नट राज राजो ‘ प्रबंध आधारित संस्कृत भाषा देव वाणी के ध्रुवपद में पहली बार डॉ मधु भट्ट द्वारा प्रयोग का नवाचार, जिसकी सावन के महीने में आराधना का विशेष प्रावधान है एवं इसके अतिरिक्त जवाहर कला केंद्र पर आधारित कुलगीत का मधु द्वारा स्वकल्पित राग चारुधरा में एवं गुरू पंडित लक्ष्मण भट्ट द्वारा रचितताल अद्धा चौताल में निबद्ध रचना ‘जवाहर कला केंद्र मंदिर है ‘ का गायन एवं देश भर में मनाये जा रहे राजस्थान की मीराबाई के 5oo वीं जयन्ती के विशेष अवसर पर मीरां बाई रचित मीरां मल्हार में उन्हें समर्पित मधु द्वारा रचित सूलताल में निबद्ध रचना ‘उमड़ घुमड़ बरसत मीरां श्याम बिना नैन झरकत’ पेश करेंगे। ध्रुवपद में पहली बार प्रयोग किये गुरू पंडित लक्ष्मण भट्ट द्वारा राग शंकरा में इक़बाल की रचना सारे जहाँ से अच्छा ‘ एवं समापन ‘वन्दे मातरम ‘ की देश राग और सूलताल में मूल रचना को प्रस्तुत करने का प्रयोग रखा जायेगा। तानपुरे पर आचुकी सागर, पखावज पर श्री प्रतीश रावत एवं सारंगी पर अमरुद्दीन संगत करेंगे।
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(Udaipur Kiran)
