RAJASTHAN

जवाहर कला केंद्र: सूफी सुरों से सजी शाम में गाया करम है ये ख़्वाजा तेरा

जवाहर कला केंद्र: सूफी सुरों से सजी शाम में गाया करम है ये ख़्वाजा तेरा

जयपुर, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज एवं जवाहर कला केन्द्र जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सूफी फेस्टिवल के दूसरे दिन सुरों की महफिल ऐसी सजी कि रंगमंच सूफियाना रूहानियत से महक उठा। रंगायन सभागार में एक ओर सूफी गीतों के तराने प्रस्तुत किए गए तो वहीं दूसरी ओर कव्वाली की धुनों ने श्रोताओं को सुकून से आत्मसात कर दिया। गुरुवार को शाने आलम साबरी एवं समूह सूफ़ियाना सुरों से सजाएंगे महफिल और मीनू गारू एवं समूह कथक की आध्यात्मिक अभिव्यक्ति प्रस्तुत करेंगे।

शाम का आगाज़ सूफी गायक बुंदू खान राजस्थानी की प्रस्तुति से हुआ, उन्होंने हारमोनियम की मधुर तानों में सूफी गीत ‘तू बड़ा गरीब नवाज़ है’ से माहौल को रुमानियत से सराबोर कर दिया। इसके बाद महफिल आगे बढ़ी और ‘सांसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम’, ‘छाप तिलक’ और ‘दमादम मस्त क़लंदर’ जैसे भावपूर्ण सूफी गीतों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम आगे बढ़ा और कलाकारों ने शाम को सुरों से सजाते हुए ‘तू माने या न माने दिलदारा’, ‘सानु एक पल चैन न आवे’ पेश किया। तबले पर सोहेल ख़ान, ऑक्टोपैड पर दुर्गेश, क्लोननेट पर राशिद ख़ान, ऑर्गन पर शेर ख़ान, खड़ताल पर करण और सारंगी पर अमीरुद्दीन ने संगत की। कोरस में गुलफाम, मुज़म्मिल, अमन जादिया और अमन ख़ान ने साथ दिया।

इसके बाद मंच पर कव्वाली की महफिल सजी जिसमें सलीम राजा व समूह ने ‘जिक्र तेरा करती हैं मछलियां समंदर में’ गीत से समां बांध दिया। इसके बाद ‘मैं मोहम्मद से प्यार करता हूँ’, ‘करम है ये ख़्वाजा तेरा’, ‘दमादम मस्त क़लंदर’ और ‘छाप तिलक सब छीनी’ जैसे लोकप्रिय कलामों से श्रोताओं की वाहवाही बटोरी। कव्वाली की जोश से भरी इस प्रस्तुति में बेंजो पर मुन्ना ख़ान, तबले पर बाबी ख़ान, ढोलक पर नदीम खान, हारमोनियम पर नासिर ख़ान, गिटार पर अव्युक्त पटेल (गोलू), पैड पर साकिर खान ने संगत की और कोरस में मजर खान, अकबर खान और सुकरत ख़ान ने साथ दिया। मंच संचालन राजेश आचार्य ने किया।

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(Udaipur Kiran)