
सोनीपत, 27 जुलाई (Udaipur Kiran) । गन्नौर के गांव पुरखास राठी के
20 वर्षीय जतिन ने श्रद्धा और आस्था की राह पर वह बोझ उठाया, जो उसके शरीर ने सहन नहीं
किया। हरिद्वार से कांवड़ में 51 लीटर गंगाजल उठा कर लौटे पुरखास के जतिन की मौत हो
गई। कांवड़ लाते समय मांसपेशियां फट गईं, दर्द में भी कांवड़ नहीं छोड़ी, पेन किलर लेते-लेते
लीवर-किडनी फेल हो गई।
कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तरप्रदेश
के शामली के पास जतिन की कंधे की मांसपेशी फट गई थी। चाचा राजेश राठी ने उसे रोकने
की कोशिश की, पर जतिन ने इसे मामूली चोट मानते हुए पेन किलर ली और यात्रा जारी रखी।
22 जुलाई को वह शेखपुरा शिविर में रुका और 23 जुलाई को शिव मंदिर में जल अर्पण कर घर
लौटा। इस बीच उसने भोजन भी बहुत कम कर दिया था। घर पहुंचने के बाद जतिन की तबीयत और
बिगड़ गई।
सोनीपत के निजी अस्पताल में जांच के दौरान पता चला कि मांसपेशी फटने से संक्रमण
फैल गया है, जो दो दिन में लीवर और किडनी तक पहुंच गया। परिजन उसे पानीपत ले गए, पर
शुक्रवार रात उसकी मौत हो गई। जतिन के पिता देवेंद्र और दोनों चाचा शिक्षक हैं। हाल
ही में 12वीं पास कर जतिन विदेश जाने की तैयारी कर रहा था। नवंबर में बहन की शादी की
योजना भी वह बना रहा था। बीते वर्ष 31 लीटर गंगाजल लाने वाला जतिन इस बार अपने 85 वर्षीय
दादा अतर सिंह को गंगाजल से स्नान कराने की इच्छा लिए 51 लीटर गंगाजल लेकर लौटा था।
चाचा राजेश राठी ने कहा कि श्रद्धा ज़रूरी है, पर शरीर की सीमा भी समझनी चाहिए। डाक्टर
की सलाह के बिना दर्द निवारक दवा लेना खतरनाक हो सकता है। जतिन चला गया, पर यदि समाज
ने इससे सीखा, तो उसका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
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(Udaipur Kiran) शर्मा परवाना
