अंबिकापुर/जशपुर, 9 नवंबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में सर्पदंश के मामलों को लेकर जिला प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे जनजागरूकता अभियान का असर अब स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। पत्थलगांव क्षेत्र के पालीडीह गांव में 13 वर्षीय बच्ची की जान उसके परिजनों की सूझबूझ और तत्परता से बच गई। समय पर अस्पताल पहुंचाने की वजह से बच्ची को उचित इलाज मिला और उसकी स्थिति अब खतरे से बाहर है।
दरअसल, पालीडीह निवासी बालिका खेत के किनारे मेड़ पर बैठी थी, जबकि उसके परिजन धान की कटाई में व्यस्त थे। इसी दौरान अचानक एक जहरीले सांप ने उसके पैर में काट लिया। घटना के बाद परिजनों ने बिना देर किए बच्ची को तुरंत सिविल अस्पताल पत्थलगांव पहुंचाया। डॉक्टरों ने जांच में पुष्टि की कि उसे विषैले सांप ने काटा है। रक्त जांच रिपोर्ट आते ही चिकित्सकों ने एंटी-वेनम इंजेक्शन देकर उपचार शुरू किया, जिससे बच्ची की जान बच गई।
डॉक्टरों ने बताया कि, सर्पदंश की स्थिति में समय पर अस्पताल पहुंचना ही जीवनरक्षक कदम साबित होता है। गुनिया या झाड़-फूंक के चक्कर में समय गंवाना खतरनाक हो सकता है। ग्रामीणों से अपील की गई है कि सर्पदंश के किसी भी मामले में सीधे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल जाएं।
जशपुर जिला प्रशासन द्वारा पिछले कुछ वर्षों से सर्पदंश के मामलों में लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत ग्रामीणों को पारंपरिक झाड़-फूंक से बचने और आधुनिक चिकित्सा उपचार अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। प्रशासनिक प्रयासों का परिणाम अब दिखने लगा है। सर्पदंश से होने वाली मौतों के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है और लोग अब तेजी से चिकित्सा संस्थानों की ओर रुख कर रहे हैं।
—————
(Udaipur Kiran) / पारस नाथ सिंह