
मुंबई, 07 जुलाई (Udaipur Kiran) । पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने सोमवार को कहा कि हमें नए नियमों की नहीं, बल्कि अधिक प्रवर्तन और निगरानी की आवश्यकता है। सेबी खुदरा निवेशकों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सेबी और एक्सचेंज दोनों स्तरों पर निगरानी कड़ी कर दी गई है।
सेबी प्रमुख का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब जेन स्ट्रीट का मामला सामने आने के बाद नए नियमों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। एक प्रेस कांफ्रेस में उन्होंने कहा कि नियामक को विदेशी हेज कोष जेन स्ट्रीट की तरह से की गई हेराफेरी के जैसे ‘अन्य जोखिम’ नहीं दिख रहे हैं। जेन स्ट्रीट की ही तरह अन्य कोषों या निवेशकों के हेराफेरी में लिप्त होने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर कहा कि मुझे नहीं लगता कि बहुत अधिक दूसरे जोखिम हैं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि बाजार नियामक अपनी निगरानी प्रणाली को उन्नत करने पर विचार कर रहा है। जेन स्ट्रीट मामले में जो हुआ वह ‘मूल रूप से’ निगरानी का मुद्दा था और नियामक केवल इसी कारण से इस पहलू पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि खुदरा निवेशकों को सुरक्षा देने के लिए डेरिवेटिव खंड में मासिक अनुबंध व्यवस्था खत्म करने के किसी भी सुझाव पर विचार किया जा रहा है।
इससे पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अमेरिकी ‘ट्रेडिंग’ कंपनी ‘जेन स्ट्रीट’ से जुड़े मामले को लेकर आरोप लगाया था कि सरकार ने आम निवेशकों को बर्बादी के कगार पर धकेल दिया है। लो नेता प्रतिपक्ष ने यह सवाल भी किया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) सेबी इतने समय तक चुप क्यों रही और क्या सरकार किसी के इशारे पर आंखें मूंदे बैठी थी?
सेबी ने पिछले हफ्ते जारी एक आदेश में न्यूयॉर्क स्थित हेज कोष जेन स्ट्रीट को तगड़ा मुनाफा कमाने के चक्कर में नकदी और वायदा एवं विकल्प सौदों में दांव लगाकर सूचकांकों में हेराफेरी करने का दोषी पाया था। पूंजी बाजार नियामक ने जेन स्ट्रीट पर हेराफेरी के जरिए वायदा एवं विकल्प सौदों से अर्जित 4,800 करोड़ रुपये से अधिक राशि को जब्त करने और उसकी बाजार पहुंच रोकने का आदेश जारी किया था।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर
