श्रीनगर, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । जम्मू-कश्मीर पीस फोरम ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर के इतिहास में सबसे बड़ी बैंकिंग धोखाधड़ी का आरोप लगाया। उसने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर बैंक ने मंदिर की ज़मीन और अन्य धार्मिक संपत्तियों पर रहने वाले किरायेदारों के नाम पर किए गए किराया समझौतों के आधार पर ऋण स्वीकृत किए।
एक प्रेस बयान में जम्मू-कश्मीर पीस फोरम ने कहा कि उसने जम्मू-कश्मीर के इतिहास में सबसे बड़ी बैंकिंग धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है। मंदिर की ज़मीन और धार्मिक संपत्तियों पर रहने वाले किरायेदारों के नाम का इस्तेमाल करके जम्मू-कश्मीर बैंक ने सिर्फ़ किराया समझौतों के आधार पर ऋण स्वीकृत किए।
यह बैंकिंग लापरवाही नहीं है, यह जनता के पैसे की एक संगठित लूट है, यह सब जम्मू-कश्मीर पीस फोरम के अध्यक्ष सतीश महालदार ने कहा जिन्होंने पहले ही अदालत और संबंधित अधिकारियों के सामने अकाट्य सबूत पेश कर दिए हैं।
फोरम के अनुसार जम्मू-कश्मीर बैंक के कर्मचारियों ने बिना उचित जाँच-पड़ताल किए और अनिवार्य सुरक्षा उपायों को दरकिनार करते हुए ऋण स्वीकृत किए। फोरम ने आगे आरोप लगाया कि राज्य राजस्व विभाग के अंदरूनी सूत्रों ने मंदिर और सामुदायिक भूमि के संवेदनशील रिकॉर्ड लीक कर दिए जिनका बाद में दुरुपयोग किया गया। फोरम ने दावा किया कि पर्यवेक्षी निकाय और लेखा परीक्षक बार-बार चेतावनी के बावजूद चुप रहे।
महालदार ने घोषणा की कि यह रैकेट न केवल वित्तीय कदाचार है बल्कि यह धार्मिक पवित्रता पर हमला है, लाखों जमाकर्ताओं के साथ विश्वासघात है और नियामक निगरानी का पतन है।
जम्मू-कश्मीर पीस फोरम ने धोखाधड़ी वाले ऋण आवंटनों की तत्काल उच्च-स्तरीय जाँच, इसमें शामिल सभी अधिकारियों का सार्वजनिक रूप से नाम उजागर करना और उन्हें शर्मिंदा करना, बैंकरों, अधिकारियों और लाभार्थियों के बीच सांठगांठ के लिए आपराधिक मुकदमा चलाना, और सार्वजनिक डेटा की सुरक्षा, सतर्कता को मज़बूत करने और पारदर्शी ऋण सुनिश्चित करने के लिए संरचनात्मक सुधारों की माँग की है।
मंच ने कहा कि अगर इस तरह के घोटालों पर लगाम नहीं लगाई गई तो पवित्र संस्थाएँ आपराधिक मुनाफ़ाखोरी की ज़मानत बन जाएँगी और भारत की बैंकिंग विश्वसनीयता दुनिया के सामने धूमिल हो जाएगी।
महलदार ने पूछा कि यह भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के लिए एक निर्णायक परीक्षा है। क्या वे इस बेशर्म धोखाधड़ी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे या इसे फाइलों में ही दबने देंगे। जम्मू-कश्मीर शांति मंच ने इस मुद्दे को सर्वाेच्च स्तर तक उठाने का संकल्प लिया है और चेतावनी दी है कि भारत की बैंकिंग प्रणाली में जनता का विश्वास दांव पर है।
(Udaipur Kiran) / सुमन लता
