श्रीनगर, 29 अगस्त (Udaipur Kiran) । श्रीनगर स्थित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने आर्थिक अपराध शाखा (अपराध शाखा), श्रीनगर द्वारा जाँचे गए एक कथित भूमि घोटाले के संबंध में तहसीलदार बिजभेरा की अग्रिम ज़मानत याचिका खारिज कर दी है।
रिपोर्टों के अनुसार यह मामला श्रीनगर की एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत से उपजा है जिसने दावा किया था कि 2012 में बलहामा में पाँच कनाल से ज्यादा ज़मीन खरीदने के बाद उसके साथ धोखाधड़ी की गई थी। आरोप लगाया गया था कि राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की गइर्, फर्जी दाखिल खारिज किए गए और बाद में ज़मीन का एक हिस्सा किसी तीसरे पक्ष को बेच दिया गया।
जांच से पता चला कि तत्कालीन तहसीलदार नुसरत अज़ीज़ और एक पटवारी सहित राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से दाखिल-खारिज में बदलाव किया गया था। अपराध शाखा ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के साथ धारा 167, 420, 120-बी आरपीसी के तहत एफआईआर संख्या 14/2025 दर्ज की।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसे व्यक्तिगत प्रतिशोध के कारण झूठा फंसाया गया है और उसने अपने लंबे सेवा रिकॉर्ड, स्वास्थ्य समस्याओं और पहले मिली अंतरिम ज़मानत को अग्रिम ज़मानत का आधार बताया। हालाँकि, न्यायमूर्ति जावेद इकबाल वानी ने कहा कि आरोपों की गंभीरता और चल रही जाँच को देखते हुए इस स्तर पर अग्रिम ज़मानत नहीं दी जा सकती।
अदालत ने ज़ोर देकर कहा कि जाँच पूरी तरह से होनी चाहिए और कहा कि अब तक के सबूत एक सुनियोजित साज़िश की ओर इशारा करते हैं जिसमें निजी व्यक्तियों को लाभ पहुँचाने के लिए आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर शामिल है।
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता इस स्तर पर अग्रिम ज़मानत की रियायत के हकदार नहीं है।
(Udaipur Kiran) / राधा पंडिता
