
रांची, 1 सितंबर (Udaipur Kiran) । जनवादी लेखक संघ (जलेस) रांची इकाई की ओर से गूगल मीट पर बहुभाषीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संताली कवयित्री सुकेशी कर्मकार ने की और संचालन विक्की मिंज ने किया।
जलेस रांची के सचिव एमज़ेड खान ने विषय प्रवेश कर बताया कि जलेस नए रचनाकारों को मंच उपलब्ध कराकर उनकी प्रतिभा को सामने लाने के लिए लगातार प्रयासरत है। साथ ही झारखंड की स्थानीय और जनजातीय भाषाओं की रचनाओं को नेटवर्क में जोड़ने और इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए नियमित संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि मिल-जुलकर झारखंड में सांस्कृतिक आंदोलन खड़ा करने और लुप्त होती भाषाओं को बचाने का संकल्प लिया गया है।
ऑनलाइन कवि सम्मेलन में झारखंड सहित असम, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली से जुड़े 60 से अधिक कवि-कवयित्रियों ने अपनी मातृभाषा में कविता पाठ किया।
हिंदी में डॉ मेधाव्रत शर्मा, प्रवीर पीटर, प्रो उत्तम कुमार, उर्दू में डॉ रेहाना, यास्मीन लाल, डॉ मोबीन कुरैशी, अमीन रहबर, शम्मा परवीन, नागपुरी में डॉ आलम आरा, नीलोफर मिंज, रामदेव बड़ाइक, अमित लोहारा, संताली में सुकेशी कर्मकार, कुड़ुख में डॉ शांति खालको, जगदीश उरांव, सुखराम उरांव, खड़िया में रीता सोरेंग, असमिया में ज्योति प्रिया राभा सहित अन्य शामिल हुए।
कविताओं में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों का चित्रण किया गया। विशेष रूप से डॉ. शांति खालको की कुड़ुख कविता में पत्थलगड़ी परंपरा और आदिवासी संस्कृति को उजागर किया गया।
कार्यक्रम में नवीन किशोर महतो, अपराजिता मिश्रा, प्रेमा मनी कुमारी, नजमा नाहिद, ज्योति, पुष्पा तिग्गा सहित अन्य शामिल थे।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
