
जबलपुर, 5 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्यपीठ ने भोपाल की अरेरा कॉलोनी में अवैध व्यावसायिक निर्माण के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका को लेकर हाईकोर्ट ने ‘अवैध’ व्यावसायिक निर्माण पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आवासीय क्षेत्र में दुकानों, होटलों और कार्यालयों का निर्माण किया जा रहा है, यह नियमों का उल्लंघन है। यह जनहित याचिका भोपाल के स्वतंत्र पत्रकार पुरेंदरु शुक्ला और पर्यावरणविद डॉ सुभाष पांडे ने दायर की है। याचिकाकर्ता के वकील शुबेन्दु शुक्ला ने कोर्ट को बताया कि दुकानों सहित अन्य कमर्शियल निर्माण एमपी टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। आवासीय भूखंडों का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस याचिका में भोपाल के विकास के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता पर सवाल उठाए गए हैं। कोर्ट ने इस मामले में मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव राजस्व और शहरी विकास को नोटिस जारी किया है। इसके अलावा कमिश्नर, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, कैपिटल प्रोजेक्ट एडमिनिस्ट्रेशन, बीएमसी, कमिश्नर भोपाल, बीएमसीडी और एमडी एमपी मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड को भी नोटिस भेजे गए हैं। सभी को चार हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करना है।
याचिका में बताया गया है कि 1968 में अरेरा कॉलोनी के ब्लॉक 1 से 6 को एक मास्टर प्लान के तहत विकसित किया गया था। इसमें केवल आवासीय विकास की अनुमति थी, यानी सिर्फ रहवासी घर बनाए जा सकते थे। भूखंडों को बंगलों के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था। आवंटन के समय यह शर्त थी कि बिना अनुमति के, भूखंड का उपयोग आवासीय के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा।
इस मामले में हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश भी दिया है। कोर्ट ने कहा, इस बीच सरकार, भोपाल नगर निगम और कंट्री एंड टाउन प्लानिंग कमिश्नर यह सुनिश्चित करेंगे कि स्वीकृत भवन योजना या क्षेत्र के मास्टर प्लान के अलावा कोई अनधिकृत अवैध निर्माण न हो। कोर्ट ने चार हफ्ते जे भीतर जबाब देने ख़या है।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
