Madhya Pradesh

जबलपुर : हाईकोर्ट के सरकार को निर्देश : यूनियन कार्बाइड की राख आबादी से दूर वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करने सरकार बनाए प्लान

हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव (राजस्व), कलेक्टर, तहसीलदार को जारी किए नोटिस : कोर्ट के आदेश की अवहेलना का मामला

जबलपुर, 1 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में गुरुवार कोें हुई अहम सुनवाई के दौरान अदालत ने टॉक्सिक राख को कचरा निस्तारण क्षेत्र के आसपास नष्ट करने की योजना पर चिंता जताई है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि विशेषज्ञों की राय के आधार पर ऐसी योजना पेश की जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य में इस जहरीली राख से मानव जीवन या पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। राख को मानव आबादी से दूर वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करने का प्लान तैयार किया जाए, ताकि पर्यावरण और जीवन को खतरा न हो। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ऋत्विक दीक्षित और अनुराग अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि यह राख मरकरी जैसे खतरनाक तत्वों से युक्त है, जिन्हें साधारण तकनीकों से निष्पादित करना संभव नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों की स्पष्ट राय नहीं ली जाती, तब तक इसे किसी आबादी क्षेत्र में डंप करना जोखिम भरा होगा। एक अन्य क्लब की गई याचिका के याचिकाकर्ता पक्ष ने कोर्ट को जानकारी दी कि पूर्व में बेंगलुरु के एक मामले में मरकरी जैसे विषैले तत्वों को सुरक्षित तरीके नष्ट करने अमेरिका के न्यूयॉर्क भेजा गया था। इसलिए इस बार भी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता का सहारा लिया जा सकता है। हालांकि, फिलहाल जहरीला कचरा नष्ट किया जा चुका है और केवल राख बची है, जिसमें आसानी से नष्ट न होने वाला मरकरी मौजूद है।

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गई कि यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन टॉक्सिक वेस्ट के निष्पादन के बाद जो 850 टन राख बची है, उसे भी नष्ट करने का प्लान तैयार कर लिया गया है। लेकिन यह प्लान उसी क्षेत्र में नष्ट करने का है, जहां पर कचरे का निस्तारण हुआ था। इस पर याचिकाकर्ताओं ने स्पष्ट तौर पर आपत्ति जताई और कहा कि यह स्थान रिहायशी इलाके के करीब है और वहां कोई संभावित खतरा हो सकता है, तो ऐसी योजना को मंजूरी नहीं दी जा सकती। इस तर्क को कोर्ट ने भी सही माना है। कोर्ट ने सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वह वैज्ञानिक और पर्यावरण विशेषज्ञों की सलाह के बाद एक ठोस रुपरेखा तैयार करे, जिसमें यह तय किया जाए कि वैज्ञानिक तरीके से यह टॉक्सिक राख आबादी क्षेत्र से दूर किस प्रकार नष्ट की जा सकती है। अब इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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