Maharashtra

दिवाली है पर आँखों की ज्योति बचाएं ,उड़ती लपट झुलसा देगी नेत्रों को

Dr Shubhangi eye special Thane civil hospital

मुंबई,18 अक्टूबर ( हि.स.) । ,दिवाली आते ही हर घर में खुशियाँ, उत्साह और रोशनी की एक किरण फैल जाती है। बच्चे नए कपड़े पहनते हैं, नाश्ते की खुशबू, आसमान में चमकते पटाखे, पूरा माहौल स्वर्ग जैसा लगता है। ठाणे के पर्यावरणविद प्रशांत सिनकर बतलाते हैं कि लेकिन जरा सी असावधानी से रोशनी के इस त्योहार के मौके पर कुछ लोगों की ज़िंदगी में अंधेरा छा जाता है। क्योंकि, पटाखों का एक क्षणिक आनंद उनकी आँखों की रोशनी हमेशा के लिए छीन लेता है, इसलिए नेत्र विशेषज्ञों से दिवाली पर परामर्श लेना जरूरी है ।उन्होंने खास तौर पर दिवाली पर आँखों का विशेष ध्यान रखने की अपील की है।

हर साल दिवाली के बाद, देश भर के नेत्र अस्पतालों में सैकड़ों मरीज़ गंभीर आँखों की चोटों के साथ भर्ती होते हैं। सुतली बम फटते हैं और चिंगारियाँ उड़ती हैं, रॉकेट का धुआँ आँखों में जाता है, पटाखों के कण चेहरे पर पड़ते हैं और ज़िंदगी पल भर में बदल जाती है। जो दर्द कुछ हुआ ही नहीं लगता है, वह जल्दी ही किसी गंभीर बीमारी में बदल सकता है, जैसे कॉर्निया में जलन, कॉर्निया फटना और धुंधली दृष्टि।

आँखों की चोटें हमेशा बाहर से दिखाई नहीं देतीं। कभी-कभी, अंदरूनी परतें (रेटिना या कॉर्निया) क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और कुछ दिनों बाद इसका असर दिखाई देने लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पटाखों में मौजूद रसायन और धुआँ आँखों और रक्त वाहिकाओं की नमी पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। सिविल अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभांगी अंबाडेकर के अनुसार, इससे आँखों में बाहरी वस्तु का प्रवेश, कॉर्निया में जलन, रेटिना से रक्तस्राव और संक्रमण जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

पटाखों से निकलने वाली गर्मी 1800° फ़ारेनहाइट तक पहुँच जाती है, जो एक ऐसा तापमान है जो साधारण लोहे को पिघला सकता है! ऐसी चिंगारी का एक छोटा सा कण भी आँख में गिरने पर कॉर्निया को स्थायी नुकसान पहुँचा सकता है। पटाखे, सुतली बम, रॉकेट, फव्वारे और यहाँ तक कि साधारण आतिशबाजी भी इसी तरह का खतरा पैदा कर सकती है।

ठाणे सिविल अस्पताल की ने रोग विशेषज्ञ डॉ शुभांगी अंबाडेकर का कहना है कि पटाखों में मौजूद धुआँ और रसायन आँखों के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। चिंगारी निकलने के तुरंत बाद अपनी आँखों को ठंडे पानी से धोएँ, लेकिन खुद कोई दवा या मरहम न लगाएँ। तुरंत नेत्र चिकित्सालय जाएँ। अन्यथा देरी खतरनाक है।

पर्यावरणविद प्रशांत सिनकर ने लोगों से अपील की है कि इसलिए पटाखों की चिंगारी निकलने के बाद अपनी आँखों को न छुएँ। अपनी आंखों को न मसले।बिना नेत्र चिकित्सक के खुद मलहम ,आई ड्रॉप अथवा एंटी बायोटिक्स आंखों में प्रयोग न करें।रैकेट या सुतली बम फोड़ते समय आंखों और हाथों को बचाए।सुरक्षा हेतू अच्छे स्टार का चश्मा लगाएं।हवा की विपरीत दशा में फटके नहीं जलाएं। हमेशा ठंडे पानी को बोतल ये बर्फ के टुकड़े साथ में रखें।हादसा होने पर तुरंत चिकित्सक से सलाह लें।

—————

(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

Most Popular

To Top