West Bengal

जेल से रिहाई का आदेश लागू करने में लग गए एक साल

समीर दास

हुगली, 25 जून (Udaipur Kiran) । हुगली जेल में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां राज्य सजा समीक्षा बोर्ड के आदेश के बाद कैदी को रिहा करने में एक वर्ष लग गए।

इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा अवमानना का मामला स्वीकार किए जाने के बाद कैदी समीर दास को मंगलवार शाम हुगली जेल से रिहा कर दिया गया। हुगली के पुरशुरा के दिहाड़ी मजदूर समीर दास को गुस्से में अपनी चाची की हत्या करने के मामले में 2006 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वह बीस साल से जेल में बंद थे। राज्य सजा समीक्षा बोर्ड ने उसे सुधार गृह में अच्छे व्यवहार के लिए एक साल पहले रिहा करने को कहा था। इसके बावजूद जेल से उसकी रिहाई पर अमल नहीं हुआ। न्यायिक विभाग द्वारा आदेश पर अमल नहीं किए जाने के बाद समीर दास ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने अवमानना का मामला स्वीकार कर लिया। मामले की सुनवाई आगामी 27 जून को तय की गई है। उससे तीन दिन पहले मंगलवार शाम को समीर दास को हुगली जेल से रिहा कर दिया गया। समीर के वकील संपूर्णा घोष ने बताया कि एक साल पहले राज्य सजा समीक्षा बोर्ड ने रिहाई का आदेश दिया था, लेकिन समीर दास को रिहा नहीं किया गया। इसी कारण हाईकोर्ट में केस किया गया था। गत 13 जून को जज ने केस स्वीकार कर लिया था। आगामी 27 जून को मामले की सुनवाई होनी थी। लेकिन इससे पहले कैदी की रिहा कर दिया गया। ऐसे कई कैदी हैं, जिन्हें रिहाई नहीं मिल रही है। उनके लिए लड़ाई जारी रहेगी। रिहा होने के बाद समीर दास ने कहा कि उसका अपना परिवार नहीं है। घर पर उसका एक भाई है। वह वहीं जाएगा। इतने दिनों बाद जेल से रिहा होकर अच्छा लग रहा है।

—————

(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय

Most Popular

To Top