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नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे ईरान-रूस

ईरान के उप राषट्रपति इसलामी

मास्काे, 23 सितंबर (Udaipur Kiran News) । ईरान ने कहा है कि देश में अतिरिक्त परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण के संबध में ईरान और रूस नए समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। ईरान के उपराष्ट्रपति एवं देश के परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख मोहम्मद इस्लामी ने यह घाेषणा की।

मोहम्मद इस्लामी सोमवार को एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ मास्को पहुंचे हैं। उनकी यात्रा 25 से 29 सितंबर तक मास्काें में आयोजित होने वाले विश्व परमाणु सप्ताह कार्यक्रमों के दाैरान हाे रही है जिसमें वह वरिष्ठ रूसी अधिकारियों के साथ बैठकाें मेें शामिल हाेंगे।

मास्काें आगमन पर पत्रकारों से बातचीत में इस्लामी ने कहा कि दोनों देशाें के बीच एक मौजूदा अनुबंध के तहत रूस को ईरान में आठ परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने का काम सौंपा गया है जिनमें से चार दक्षिणी बंदरगाह शहर बुशहर में पहले से ही निर्माणाधीन हैं। ईरान ने शेष संयंत्रों के निर्माण के बारे में रूस काे सूचना दे दी गई है। इस बारे में अनुबंध के दूसरे चरण के लिए आवश्यक अध्ययन और बातचीत काे पहले ही अंतिम रूप दे दिया गया है।उन्होंने कहा कि स्थानों का चयन, तैयारी और संबंधित उपकरण मंगा लिए गए हैं। इस सप्ताह के अंत में नए समझौते के संपन्न होने के बाद इस दिशा में काम तुरंत शुरू हाेकर डिज़ाइन, इंजीनियरिंग और परिचालन चरण में प्रवेश करेगा।

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ ईरान के संबंधों का उल्लेख करते हुए इस्लामी ने कहा कि उनके देश ने अपनी सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को लगातार कायम रखा है और वह शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की उनके राजनीतिकरण वाले दृष्टिकोण के लिए निंदा की और उनसे आग्रह किया कि वे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की विश्वसनीयता कम न करें।

इस्लामी ने कहा कि यूरोपीय देशों को विश्व की संस्थाओं को अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में निष्पक्ष और पेशेवर तरीके से अपने कर्तव्यों का पालन करने देना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि उनका वर्तमान आचरण शांति में बाधा डालता है और अंतरराष्ट्रीय कानून के विरुद्ध है। इस्लामी ने जून में एजेंसी की निगरानी में रहने वाले तीन ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिका और इज़राइल द्वारा किए गए आतंकवादी हमलों की निंदा न करने के लिए आईएईए की कड़ी आलाेचना की। उन्होंने आरोप लगाया एजेंसी की चुप्पी उसके भीतर गहरी पैठ रखने वाले विनाशकारी प्रभाव को दर्शाती है।

ईरान का आराेप है कि इज़राइल ने 13 जून को अचानक युद्ध छेड़ दिया जिसमें उसके वरिष्ठ सैन्य कमांडरों, परमाणु वैज्ञानिकों और नागरिकों को निशाना बनाया गया। कुछ दिनों बाद अमेरिका भी इस संघर्ष में शामिल हो गया और उसने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमला किया जिसे ईरान ने संयुक्त राष्ट्र घाेषणापत्र, अंतरराष्ट्रीय कानून और परमाणु अप्रसार संधि का घोर उल्लंघन बताया।

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(Udaipur Kiran) / नवनी करवाल

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