
जयपुर, 22 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । भारत की अर्थव्यवस्था इन दिनों जिस तेज़ी से आगे बढ़ रही है, उसमें इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को विकास की रीढ़ माना जा रहा है। देश में सड़कें, बिजली, नवीकरणीय ऊर्जा, टेलीकॉम टावर और पाइपलाइंस जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता है। इस दिशा में इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स यानी इनविट्स एक अहम भूमिका निभा रहे हैं। ये न केवल डेवलपर्स के लिए पूंजी जुटाने का साधन हैं, बल्कि आम निवेशकों को भी देश के निर्माण कार्यों से सीधे तौर पर जोड़ने का अवसर प्रदान कर रहे हैं।
वर्तमान में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ पंजीकृत 27 इनविट्स करीब सात लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रहे हैं। आकलन है कि 2030 तक यह आकार तीन गुना होकर इक्कीस लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि इनविट्स निवेशकों को एक पारदर्शी और भरोसेमंद प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराते हैं, जहां से वे इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी दीर्घकालिक परिसंपत्तियों का हिस्सा बन सकते हैं और नियमित रिटर्न भी हासिल कर सकते हैं।
इनविट्स की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें निवेशक स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध यूनिट्स के जरिए सिर्फ एक यूनिट खरीदकर भी निवेश कर सकता है। इस तरह छोटे निवेशक भी इस बड़े क्षेत्र से जुड़ सकते हैं। इनविट्स को अनिवार्य रूप से अपनी परिसंपत्तियों का कम से कम 80 प्रतिशत हिस्सा आय उत्पन्न करने वाली परियोजनाओं में लगाना होता है और इन्हें अपनी शुद्ध वितरित योग्य नकदी का कम से कम 90 प्रतिशत निवेशकों को लौटाना अनिवार्य है। यह भुगतान सामान्यत: तिमाही या अर्धवार्षिक आधार पर किया जाता है। साथ ही, 70 प्रतिशत तक का लीवरेज कैप और AAA क्रेडिट रेटिंग जैसी शर्तें निवेशकों का विश्वास बढ़ाती हैं। यही कारण है कि इन्हें स्थिरता और तरलता का अनोखा संयोजन माना जाता है।
दरअसल, इनविट्स को केवल निवेश का साधन मानना उचित नहीं होगा। ये एक नीतिगत नवाचार भी हैं, जो मौजूदा और पहले से चल रही परियोजनाओं को लाभकारी बनाकर पूंजी को नए प्रोजेक्ट्स में लगाने का अवसर देते हैं। यह मॉडल सरकार की नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन और नेशनल मानेटाइजेशन प्लान का महत्वपूर्ण आधार है। इन योजनाओं के जरिये केंद्र सरकार विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में खरबों रुपये का निवेश आकर्षित करना चाहती है।
भारत में इनविट्स की सफलता का सबसे बड़ा उदाहरण है इंडीग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट। यह देश का पहला और सबसे बड़ा सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध पावर सेक्टर इनविट है, जिसे वैश्विक निवेश कंपनी केकेआर का समर्थन प्राप्त है। 2017 में लिस्टिंग के बाद से इंडीग्रिड ने लगभग 32,400 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन किया है और इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 14,200 करोड़ रुपये के आसपास है। इसे भारत की सभी प्रमुख रेटिंग एजेंसियों से AAA की सर्वोच्च रेटिंग मिली है।
इंडीग्रिड का पोर्टफोलियो व्यापक और विविध है। इसमें बीस राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 43 पावर प्रोजेक्ट्स, 9,336 सर्किट किलोमीटर लंबाई वाली 53 ट्रांसमिशन लाइनें, 16 सबस्टेशन, 1.1 गीगावॉट सौर उत्पादन क्षमता और 450 मेगावॉट बैटरी ऊर्जा भंडारण क्षमता शामिल है। अब तक इंडीग्रिड अपने निवेशकों को 6,541 करोड़ रुपये का वितरण कर चुका है, जो प्रति यूनिट 105 रुपये से अधिक बैठता है। इसमें नकद वितरण के साथ-साथ यूनिट मूल्य में हुई वृद्धि भी शामिल है। इस तरह निवेशकों को अब तक लगभग 174 प्रतिशत का कुल रिटर्न प्राप्त हुआ है।
इंडीग्रिड की मुख्य वित्तीय अधिकारी मेघना पंडित के अनुसार इनविट्स एक ऐसा अनोखा निवेश प्लेटफॉर्म है, जो डेवलपर्स को पहले से तैयार और चल रही इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में फंसी पूंजी को अनलॉक कर नए प्रोजेक्ट्स में लगाने का अवसर देते हैं। साथ ही यह निवेशकों को भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ स्टोरी में सीधे भागीदारी और स्थिर रिटर्न प्रदान करते हैं। कम-से-कम 80 प्रतिशत आय उत्पन्न करने वाली परिसंपत्तियां रखना और 90 फीसदी से अधिक नकदी प्रवाह वितरित करना–यह सब मजबूत गवर्नेंस और भरोसेमंद रिटर्न सुनिश्चित करता है। उनका कहना है कि इंडीग्रिड ने पावर ट्रांसमिशन, सौर और बैटरी स्टोरेज जैसी परिसंपत्तियों में संतुलित निवेश कर इस मॉडल की मजबूती को साबित किया है।
इनविट्स भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर क्रांति को गति देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ये न केवल बड़े निवेशकों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी एक सुलभ और भरोसेमंद विकल्प बनकर उभरे हैं। आने वाले समय में यही वित्तीय मॉडल भारत के विकास का इंजन बनेगा और हर निवेशक को देश की आधारभूत संरचना का एक छोटा-सा हिस्सा मालिक बनने का अवसर देगा।
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(Udaipur Kiran)
