
धर्मशाला, 09 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय (सीएसकेएचपीकेवी), पालमपुर ने क्रॉफर्ड फंड द्वारा प्रायोजित संक्रामक रोगों के क्षेत्रीय निदान हेतु एलएएमपी तकनीक के अनुप्रयोग विषय पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग द्वारा कृषि विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया के सहयोग से आयोजित की गई।
इस कार्यशाला में 8 क्षेत्रीय पशुचिकित्सकों, 7 स्नातकोत्तर छात्रों और 5 संकाय सदस्यों को लूप-मीडिएटेड आइसोथर्मल एम्प्लीफिकेशन (एलएएमपी) तकनीक के उपयोग का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य क्षेत्रीय स्तर पर निदान क्षमता को बढ़ाना था, जिससे पशुधन क्षेत्र में रोग निगरानी, नियंत्रण और रोकथाम में सुधार हो सके।
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डॉ. जेनिन मुलर और डॉ. केट रोवे ने अंतर्राष्ट्रीय संसाधन व्यक्तियों के रूप में कार्य किया और प्रतिभागियों को क्षेत्र निदान और जैव सुरक्षा प्रक्रियाओं पर व्यावहारिक प्रदर्शनों और केस-आधारित अभ्यासों के माध्यम से मार्गदर्शन दिया।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए, कुलपति डॉ. ए.के. पांडा ने विश्वविद्यालय और कृषि विक्टोरिया के संयुक्त प्रयासों की सराहना की और विश्व स्तर पर प्रासंगिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग की सराहना की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग वैज्ञानिक आदान-प्रदान को मज़बूत करते हैं और बेहतर रोग प्रबंधन और उत्पादकता के माध्यम से पशुपालकों को सीधे लाभान्वित करते हैं। डॉ. पांडा ने इस पहल का समर्थन करने के लिए क्रॉफर्ड फंड और ऑस्ट्रेलिया सरकार को भी धन्यवाद दिया और प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए।
डॉ. राजेश चाहोता, विभागाध्यक्ष पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग एवं कार्यशाला समन्वयक ने कहा कि एलएएमपी-आधारित नैदानिक दृष्टिकोण क्षेत्र-स्तरीय रोग पहचान के लिए, विशेष रूप से दूरस्थ और संसाधन-सीमित सेटिंग्स में अपार संभावनाएं रखता है, जिससे यह हिमाचल प्रदेश में पशु स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए एक मूल्यवान उपकरण बन जाता है।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
